पर्सी बिश शेली

पर्सी बयसी शेली (१७९२-१८२२) अंग्रेजी स्वच्छंदतावाद कविता के महान कवि थे। उन्हें आलोचकों द्वारा अंग्रेजी कविता के सर्वेशेष्ठ गीत कवि के रूप मैं माना जाता है। उनकी कविता में तत्कालीन राजनैतिक और सामाजिक दृश्य देखे जा सकते हैं। शेली ने अपने जीवनकाल में अधिक प्रशिद्धि प्राप्त नहीं की लेकिन मृत्यु के बाद उनकी प्रशिद्धि काफी बढ़ गयी।[1][2][3][4][5]

पर्सी बायसी शेली

पर्सी बायसी शेली
जन्म4 अगस्त 1792
होर्शैम, इंग्लैंड
मृत्यु8 जुलाई 1822(1822-07-08) (उम्र 29)
वियारेजियो, इटली
व्यवसायकवि, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार
साहित्यिक आन्दोलनस्वच्छन्दतावाद

जीवन परिचय

इनका जन्म ४ अगस्त, १७९२ ई. को ससेक्स के हार्शम नगर के निकट फील्ड प्लेस में हुआ था। तेरह वर्ष की उम्र में वे ईटन नामक प्रसिद्ध सार्वजनिक विद्यालय में प्रविष्ट हुए। वे बहुत कुशल छात्र थे और पढ़ने लिखने में उनकी अत्यंत रुचि थी। शीघ्र ही उन्होंने ग्रीक तथा लैटिन भाषाओं पर अधिकार प्राप्त कर लिया। विद्यालय छोड़ने से पूर्व उन्होंने विचित्रवाद शैली के दो उपन्यास लिखे - 'जेस्ट्रोज़ी' और 'सेंट ईविन' जो १८१० ई. तथा १८११ ई. में प्रकाशि हुए। उन्होंने अनेक कविताओं की भी रचना की जो १८१० ई. में 'ओरिजिनल पोएट्री बाइ विक्टर ऐंड के. जायर' के नाम से पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई। वे अपनी छात्रावस्था ही में प्रत्येक प्रकार के क्रूर अपकार तथा रुढ़िवाद के कट्टर विरोधी बन गए थे और इसी कारण विद्यालय में प्राय: सभी लोग उन्हें पागल तथा नास्तिक कहते थे।

सन् १८१० ई. में शेली ईटन छोड़कर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी कालेज में भरती हुए। किन्तु एक वर्ष पश्चात् उन्होंने 'दी निसेसिटी ऑव एथीज्म' नामक दो पृष्ठ की पुस्तिका लिखी जिसमें उन्होंने अपनी विचारधारा के अनुसार अनीश्वरवाद की आवश्यकता प्रमाणित की और जिसकी प्रतियाँ उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों के पास भेजीं। वे सब क्रोध से तिलमिला उठे और शेली तत्काल विश्वविद्यालय से निकाल दिए गए। जब उनके पिता को इस दुर्घटना का समाचार मिला तो उन्होंने शेली को घर लौटने से वर्जित कर दिया। इस कारण वे लंदन पहुँचे और वहाँ हेरियट वेस्टब्रुक नामक एक युवती से उनका संपर्क हो गया। १८११ ई. में एडिनबरा में उन्होंने उससे विवाह कर लिया।

शेली एक उत्तप्त क्रांतिकारी व्यक्ति थे। उस समय आयरलैंड में अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध बड़ी हलचल थी और शेली इस राजद्रोही हलचल की सहायता तथा प्रोत्साहन के लिए वहाँ गए और अनेक सार्वजनिक सभाओं में भाषण दिए। १८१३ ई. में उनका 'क्वीन मैब' नामक काव्यग्रंथ प्रकाशित हुआ। लगभग इसी समय उनका अपनी पत्नी से मतभेद हो गया और १८१४ ई. में वे एक दूसरे से सदा के लिए पृथक् हो गए। इस दुर्घटना का प्रभाव उनकी पत्नी पर इतना बुरा पड़ा कि उसने आत्महत्या कर ली। इस बीच में शेली का मेरी गोड्विन नामक अन्य महिला से परिचय हो चुका था और १८१६ ई. में उनका विवाह भी लंदन में हो गया। इसी वर्ष उनका प्रसिद्ध काव्यग्रंथ 'अलेस्टर' प्रकाशित हुआ। तदुपरांत वे स्विटजरलैंड तथा फ्रांस का भ्रमण करने चले गए। जब वे इंग्लैंड लौटे तो उनके पिता ने उनको क्षमा कर दिया जिससे उनका सब आर्थिक कष्ट, जो उन्हें बहुत खल रहा था, दूर हो गया।

कुछ समय मार्लो तथा विंडसर नामक नगरों में रहने के पश्चात् शेली और उनकी पत्नी इटली चले गए और वहाँ के समस्त प्रसिद्ध नगरों में भ्रमण किया। किंतु वे सब अत्यंत रमणीक होते हुए भी शेली के स्वास्थ्यानुकूल सिद्ध न हुए और अंतत: सन् १८१९ ई. में वे पीसा नगर में रहने लगे। इस बीच शेली ने 'चेंची', 'प्रोमीथ्यस अनबाउंड', 'रोजालिंड ऐंड हेलन', तथा 'ओड टू दी वेस्टविंड', की रचना की और पीसा में उन्होंने 'एडोनेइस', 'एपियसाइकीडियन', तथा अनेक सर्वोत्तम गीतात्मक कविताओं की सृष्टि की। जहाँ भी वे रहे सर्वथा स्वतंत्र विचारों के अनुयायी रहे। उन्होंने यूनानी साहित्य का अध्ययन किया। स्पेन, इटली तथा जर्मनी की भाषाओं पर अधिकार प्राप्त किया। किंतु यह सब करने पर भी उनके मन को कहीं शांति न मिली। अत: पीसा से रवेन्ना से लेरीसी और लेरीसी से लेग्होर्न भटकते रहे। जब वे १८२२ ई. में स्पेजिया जा रहे थे तो उनकी नाव समुद्र में डूब गई और उनकी अकाल मृत्यु हो गई। बहुत दिनों के बाद जब उनकी लाश मिली तब समुद्रतट पर उनकी दाहक्रिया हुई और उनके भस्मफूल रोम के उस प्रसिद्ध प्रोटेस्टेंट शवस्थान में दफन किए गए जिसके बारे में शेली ने स्वयं लिखा था कि यह स्थान इतना रमणीय है कि देखनेवालों को यदि मृत्यु ही से अनुराग हो जाए तो कोई असंभव बात नहीं है।

इंग्लैंड के गीतात्मक कवियों में शेली का स्थान सबसे ऊँचा है। उनकी कविता में गीतिकाव्य के सभी गुण विद्यमान हैं- माधुर्य हैं, मादकता है, वेग है, शब्दयोजना का सौंदर्य है, भावों की गहराई है, कवि की हार्दिक अनुभूतियों की मार्मिक व्यंजना है, वेदना की टीस है, और आशा तथा आकांक्षा की आग है। उनकी 'एडोनेइस' नामक कविता, जो इन्होंने कीट्स की अकाल मृत्यु पर लिखी, अंग्रेजी की इनी गिनी शोकात्मक कविताओं में अमर कीर्तिवाली रचना है। उनके 'प्रोमीथियस अनबाउंड' की गणना अंग्रेजी के उन दो तीन सर्वश्रेष्ठ नाटकों में है जो प्राचीन यूनानी पद्धति के अनुसार लिखे गए हैं। उनका 'चेंची' नामक नाटक शेक्सपियर की परिपाटी के अनुसार लिखे हुए नाटकों में सबसे अच्छा समझा जाता है। शेली सौंदर्य, प्रेम, प्रकृति, स्वतंत्रता, तथा अध्यात्म के महत्वपूर्ण कवि थे। उनकी कृतियों में बिंबवाद की झलक, रहस्यवाद का मर्म तथा अनंत का अलौकिक प्रकाश है। लोकमंगल अथवा विश्वप्रेम की भावना उनके कवित्व का मूल मंत्र है।

शेली केवल कवि ही न थे, उन्होंने अनेक गद्य रचनाएँ भी की हैं। उनके पत्र भी महत्वपूर्ण हैं और उनकी आलोचनात्मक पुस्तक 'डीफेंस ऑव पोएट्री' अत्यंत प्रसिद्ध है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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