बृहत् वृत्त

किसी गोले के सन्दर्भ में, बृहद्वृत्त उस गोले के सतह पर स्थित उस वृत्त को कहते हैं जिसका केन्द्र उस गोले के केन्द्र पर हो। दूसरे शब्दों में, किसी गोले के केन्द्र से गुजरने वाले किसी समतल तथा उस गोले के प्रतिच्छेदन से बनने वाले वृत्त को उस गोले का बृहत वृत्त कहते हैं। बृहत वृत्तों की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • किसी गोले के बृहद्वृत्तों की संख्या अनन्त होती है।
  • बृहद्वृत्त से होकर जाने वाला समतल, गोले को दो समान आयतन वाले अर्धगोलों में बांटता है।
  • बृहद्वृत्त का केन्द्र भी गोले के केन्द्र पर होता है तथा बृहद्वृत्त का व्यास गोले के व्यास के बराबर होता है।
  • किसी भी गोले की सतह पर, किसी दी हुई त्रिज्या के, अनन्त वृत्त बनाए जा सकते हैं।
  • किसी गोले की सतह पर स्थित किसी बिन्दु से होकर जाने वाले अनन्त वृत्त बनाए जा सकते हैं, जिनमें से उस बिन्दु से होकर जाने वाले बृहद्वृत्तों का व्यास सर्वाधिक (गोले के व्यास के बराबर) होता है। अर्थात गोले की सतह पर, बृहद्वृत्त के व्यास से बड़े व्यास का वृत्त नहीं बनाया जा सकता।
  • गोले की सतह पर स्थित दो बिन्दुओं से होकर केवल एक बृहद्वृत्त बनाना सम्भव है। इस बृहत वृत्त का 'छोटा चाप', इन दो बिन्दुओं के बीच गोले की सतह से होकर जाने वाली सबसे छोटी लम्बाई का वक्र है।
गोले पर बने किसी भी बृहद्वृत्त पर काटा जाए तो गोला दो बराबर अर्धगोलों में बट जाता है
इस चित्र में, गोले की सतह पर सतत रेखा से बने सभी वृत्त बृहद्वृत्त हैं जबकि डैश-रेखा से बनाए गए वृत्त बृहत वृत्त नहीं हैं।

बृहद्वृत्त मार्ग और विमान की उड्डयन

टोक्यो से सैन फ्रैनसिस्को का सब से छोटा रास्ता लाल रंग के बृहद्वृत्त मार्ग से है - हरे रंग का रास्ता उस से छोटा लगता है लेकिन वास्तव में है नहीं

यदि काग़ज़ पर पृथ्वी का मानचित्र देखा जाए और एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच एक सीधी रेखा खींच दी जाए तो लगता है के उड़ कर जाने के लिए यही रास्ता सबसे छोटा पड़ेगा। लेकिन गोले की ज्यामिति के कारण ऐसा नहीं है। पृथ्वी पर दो स्थानों के बीच उड़ान भरने का सबसे छोटा रास्ता वह होता है जो उन दोनों जगहों से गुजरने वाले बृहद्वृत्त पर हो। यही बृहद्वृत्त मार्ग और "सीधे मार्ग" को काग़ज़ पर देखा जाए तो "सीधा मार्ग" छोटा लगता है, लेकिन अगर गोले पर देखे तो बृहत वृत्त मार्ग छोटा होता है। ऐसा इसलिए हैं के पृथ्वी की सतह एक गोले पर है और जहाज़ को उसके साथ-साथ चलना होता है - वह ज़मीन के अन्दर घुसकर एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं जा सकता।

खगोलशास्त्र में बृहद्वृत्त

खगोलशास्त्र में खगोलीय क्षितिज, खगोलीय मध्य रेखा और सूर्यपथ तीनों खगोलीय गोले पर बने बृहत वृत्त होते हैं।

इन्हें भी देखें

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