मान्तेन
माइकेल डि मांतेन (Michel de Montaigne ; १५३३-१५९२) फ्रांसीसी पुनर्जागरण का सबसे प्रभावी लेखक था। माना जाता है कि उसने ही निबन्ध को साहित्य की एक विधा के रूप में प्रचलित किया। उसे आधुनिक संशयवाद (skepticism) का जनक भी माना जाता है।
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | मिचेल एयक़ुएँ दे मांटेग्न 28 फ़रवरी 1533 छटेओ दे मांटेग्न, गुयेँने, फ़्रान्स |
मृत्यु | 13 सितम्बर 1592 छटेओ दे मांटेग्न, गुयेँने, फ़्रान्स | (उम्र 59)
वृत्तिक जानकारी | |
युग | Renaissance philosophy |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
विचार सम्प्रदाय (स्कूल) | Renaissance humanism Renaissance skepticism |
प्रमुख विचार | The essay, Montaigne's wheel argument[1] |
प्रभावित विलियम शेक्सपीयर, रेने देकार्त, Pierre Charron, फ्रेडरिक नीत्शे, Jean-François Lyotard, राल्फ वाल्डो इमर्सन, ब्लेज़ पास्कल, गोर विडाल, जीन जक्क़ुएस रूसो, Albert Hirschman, William Hazlitt, Eric Hoffer, Michel Onfray, José Saramago[2] | |
हस्ताक्षर |
परिचय
मान्तेन का जन्म दक्षिण पश्चिम फ्रांस में बोर्दो के निकट उत्पन्न हुआ था। उसने दर्शन और विधि का अध्ययन किया। वह शिक्षा की शास्त्रीय विधा का पंडित था। २४ वर्ष की अवस्था में वह बोर्दो की प्रतिनिधि सभा में परामर्शदाता के पद पर मनोतीत हुआ। १५७१ में अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् वह कुछ काल तक पेरिस में रहा, तत्पश्चात् वह अपने परिवार में वापस आ गया। उसने अपना अधिकांश समय अपने पुस्तकालय में अध्ययन और लेखन में व्यतीत किया। १५८० में बोर्दो में उसके निबंधों का संग्रह 'एसेज ऑव मेस्सीर माइकेल, सीन्योर दि मांतेन' के नाम से प्रकाशित हुआ। उसके निबंध व्यक्तिगत उद्गार हैैं। पहले उसका चिंतन स्टोइकवाद की ओर उन्मुख था किंतु उसके मस्तिष्क का प्राकृतिक रुझान उसे संशयवादी चिंतन की ओर ले गया। उसका उद्देश्य हो गया 'मुझे क्या ज्ञान है?' १५८० में मांतेन ने पेरिस, स्विटजरलैंड, दक्षिण जर्मनी और इटली की यात्राएँ कीं। तत्पश्चात वह बोर्दो का मेयर बनाया गया। १५८८ में उसने अपने निबंधों का तीन भागों का नया संस्करण (पाचवाँ) प्रकाशित किया।
मांतेन के दर्शन का सार है कि मृत्यु को जीवन का सहज फल मानना चाहिए और प्रकृति के अनुशासन का सावधानी से पालन करना चाहिए। नीतिशास्त्री और शिक्षाशास्त्री के रूप में उसका योगदान महत्वपूर्ण है। १७वीं और १८वीं शती के लेखकों और विचारकों पर उसका उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा था।