राजेश खन्ना

भारतीय फिल्म अभिनेता, निर्माता और निर्देश

राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे।[1] उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्में बनायीं और राजनीति में भी प्रवेश किया। वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।

राजेश खन्ना

प्रशंसकों के बीच ठुमका लगाते हुए राजेश खन्ना
जन्म जतिन खन्ना
29 दिसम्बर 1942
अमृतसर, ब्रिटिश भारत
मौत 18 जुलाई 2012
मुंबई, भारत
पेशा फिल्म अभिनेता व निर्माता
कार्यकाल 1966–2012
राजनैतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवनसाथी डिम्पल कपाड़िया
बच्चे ट्विंकल खन्ना
रिंकी खन्ना

उन्होंने कुल 180 फ़िल्मों और 163 फीचर फ़िल्मों में काम किया, 128 फ़िल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फ़िल्मों में भी काम किया।[2] व तीन साल 1969-71 के अंदर १५ solo हिट फ़िल्मों में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपरस्टार कहे जाने लगे।[3] उन्हें फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला और १४ बार मनोनीत किया गया। बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फ़िल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा और २५ बार मनोनीत किया गया। [4] 2005 में उन्हें फ़िल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे।[5][6][7][8] 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फ़िल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फ़िल्में रहीं और बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुई। उन्होंने 1966-1991 में 74 स्वर्ण जयंती फ़िल्में की। (golden jubilee hits)। उन्होंने 1966-1991 में 22 रजत जयंती फ़िल्में किया। उन्होंने 1966-1996 में 9 सामान्य हित्त फ़िल्म किया। उन्होंने 1966-2013 में 163 फ़िल्म किया और 105 हिट रहे।

व्यक्तिगत जीवन

29 दिसम्बर 1942 को जतिन खन्ना[9] नाम से जन्में बच्चे का पालन पोषण लीलावती चुन्नीलाल खन्ना ने किया था।[10] जतिन के माता पिता भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से आकर अमृतसर में बस गये थे। खन्ना दम्पत्ति जो जतिन के वास्तविक माता-पिता के रिश्तेदार थे इस बच्चे को गोद ले लिया और पढ़ाया लिखाया।[11] जतिन ने तब के बम्बई स्थित गिरगाँव के सेण्ट सेबेस्टियन हाई स्कूल में दाखिला लिया। उनके सहपाठी थे रवि कपूर जो आगे चलकर जितेन्द्र के नाम से फ़िल्म जगत में मशहूर हुए।[12]

स्कूली शिक्षा के साथ साथ जतिन की रुचि नाटकों में अभिनय करने की भी थी अत: वे स्वाभाविक रूप से थियेटर की ओर उन्मुख हो गये। स्कूल में रहते हुए उन्होंने कुछ नाटक भी खेले।[13] केवल इतना ही नहीं, कॉलेज के दिनों उन्होंने नाटक प्रतियोगिता में कई पुरस्कार भी जीते।[14] थियेटर व फ़िल्मों के लिये काम खोजने वे उस समय भी अपनी स्पोर्टस कार में जाया करते थे। यह उन्नीस सौ साठ के आस पास का वाकया है।[15] दोनों दोस्तों ने बाद में तत्कालीन बम्बई के के०सी० कॉलेज में भी एक साथ तालीम हासिल की। .[16] जतिन को राजेश खन्ना नाम उनके चाचा ने दिया था यही नाम बाद में उन्होंने फ़िल्मों में भी अपना लिया। यह भी एक हकीकत है कि जितेन्द्र को उनकी पहली फ़िल्म में ऑडीशन देने के लिये कैमरे के सामने बोलना राजेश ने ही सिखाया था। जितेन्द्र और उनकी पत्नी राजेश खन्ना को "काका" कहकर बुलाते थे।[17]

राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में "आखिरी खत" नामक फ़िल्म में काम किया था। इसके बाद राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फ़िल्म किया। तब फिर बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुआ लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली जो उनकी पहली प्लेटिनम जयंती सुपरहिट फ़िल्म थी। आराधना के बाद हिन्दी फ़िल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 15 solo सुपरहिट फ़िल्में दिया - आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते, बंधन, डोली, सफ़र, खामोशी, कटी पतंग, आन मिलो सजना, ट्रैन, आनन्द, सच्चा झूठा, दुश्मन, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी। बहुकलाकार फ़िल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा।

पारिवारिक जीवन

1966-72 के दशक में एक फैशन डिजाइनर व अभिनेत्री अंजू महेन्द्रू से राजेश खन्ना का प्रेम प्रसंग चर्चा में रहा।[18] बाद में उन्होंने डिम्पल कपाड़िया से मार्च 1973 में विधिवत विवाह कर लिया। विवाह के ८ महीने बाद डिम्पल की फ़िल्म बॉबी रिलीज हुई।[19] डिम्पल से उनको दो बेटियाँ हुईं।[20] बॉबी की अपार लोकप्रियता ने डिम्पल को फ़िल्मों में अभिनय की ओर प्रेरित किया। बस यहीं से उनके वैवाहिक जीवन में दरार पैदा हुई जिसके चलते दोनों पति-पत्नी 1984 में अलग हो गये। फ़िल्मी कैरियर की दीवानगी ने उनके पारिवारिक जीवन को ध्वस्त कर दिया।[21] कुछ दिनों तक अलग रहने के बाद दोनों में सम्बन्ध विच्छेद हो गया।[22] 1984-1987 में एक अन्य अभिनेत्री टीना मुनीम के साथ राजेश खन्ना का रोमांस उसके विदेश चले जाने तक चलता रहा।.[23] काफी दिनों तक अलहदा रहने के बाद, 1990 में डिम्पल और राजेश में एक साथ रहने की पारस्परिक सहमति बनती दिखायी दी। रिपोर्टर दिनेश रहेजा के अनुसार उन दोनों में कटुता समाप्त होने लगी थी और दोनों एक साथ पार्टियों में शरीक होने लगे। यही नहीं, डिम्पल ने लोक सभा चुनाव में राजेश खन्ना के लिये वोट माँगे और उनकी एक फ़िल्म जय शिवशंकर में काम भी किया।[24] 1990 से 2012 तक साथ मे दोनों त्यौहार मनाते थे| दोनों की पहली बेटी ट्विंकल खन्ना एक फ़िल्म अभिनेत्री है। उसका विवाह फ़िल्म अभिनेता अक्षय कुमार से हुआ। दूसरी बेटी रिंकी खन्ना भी हिन्दी फ़िल्मों की अदाकारा है[25] उसका विवाह लन्दन के एक बैंकर समीर शरण से हुआ।[26]

फिल्मी सफ़र

उन्होंने 1969-72 में लगातार 15 solo सुपरहिट फ़िल्में दिया - आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते, बंधन, डोली, सफ़र, खामोशी, कटी पतंग, आन मिलो सजना, ट्रैन, आनन्द, सच्चा झूठा, दुश्मन, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी। बहुकलाकार फ़िल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा। बाद के दिनों में 1972-1975 तक अमर प्रेम, दिल दौलत दुनिया, जोरू का गुलाम, शहज़ादा, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, अपना देश, अनुराग, दाग, नमक हराम, अविष्कार, अज़नबी, प्रेम नगर, रोटी, आप की कसम और प्रेम कहानी जैसी फ़िल्में भी कामयाब रहीं। मगर उस के लिए 1976-78 खराब काल रहा क्योँकि 7 critically acclaimed (साधुवाद) फ़िल्में- महबूबा, त्याग, पलकों की छाँव में, नौकरी, जनता हवलदार, चक्रव्यूह, bundalbaaz असफल रहा। 1976-78 में महा चोर, छलिया बाबू, अनुरोध, भोला भाला, कर्म कामयाब रहा। उन्होंने 1979 में वापसी किया अमर दीप के साथ। उन्होंने 1980-1991 तक बहुत सारे सफल फ़िल्में दिया। 1979-1991 के सफल सिनेमा के नाम - अमर दीप, प्रेम बंधन, थोड़ी सी बेवफाई, आँचल, फ़िर वही रात, बंदिश, कुदरत, दर्द, धनवान, अशान्ति, पचास-पचास, जानवर, धर्म काँटा, सुराग, राजपूत, दिल-e-नादान, जानवर, निशान, सौतन, अगर तुम ना होते, अवतार, नया कदम, आज का एम एल ए राम अवतार, मकसद, धर्म और कानून, आवाज़, आशा ज्योति, पापी पेट का सवाल, मास्टर जी, बेवफ़ाई, बाबू, हम दोनों, ज़माना, आखिर क्यों?, शत्रु, अधिकार, नसीहत, अंगारे, अनोखा रिश्ता, अमृत, आवाम, नज़राना, पाप का अंत, घर का चिराग, स्वर्ग, घर-परिवार। 1991 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा। बाद में वे राजनीति में आये और 1991 वे नई दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर संसद सदस्य चुने गये। 1994 में उन्होंने एक बार फिर खुदाई फ़िल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। 1996 में उन्होंने सफ़ल फ़िल्म सौतेला भाई किया। आ अब लौट चलें, क्या दिल ने कहा, प्यार ज़िन्दगी है, वफा जैसी फ़िल्मों में उन्होंने अभिनय किया लेकिन इन फ़िल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली। कुल उन्होंने 1966-2013 में 117 स्रावित फ़िल्म as a lead hero किया और 117 में 91 हिट रहे। कुल उन्होंने 1966-2013 में 163 फ़िल्म किया और 105 हिट रहे।

मुमताज़ का साथ

राजेश खन्ना ने मुमताज़ के साथ आठ फ़िल्मों में काम किया और ये सभी फ़िल्में सुपरहिट हुईं।[27] राजेश और मुमताज़ दोनों के बँगले मुम्बई में पास पास थे अत: चित्रपट के रुपहले पर्दे पर साथ साथ काम करने में दोनों की अच्छी पटरी बैठी। जब राजेश ने डिम्पल के साथ शादी कर ली तब कहीं जाकर मुमताज़ ने भी उस जमाने के अरबपति मयूर माधवानी के साथ विवाह करने का निश्चय किया। 1974 में मुमताज़ ने अपनी शादी के बाद भी राजेश के साथ आप की कसम, रोटी और प्रेम कहानी जैसी तीन फ़िल्में पूरी कीं और उसके बाद फ़िल्मों से हमेशा हमेशा के लिये सन्यास ले लिया। यही नहीं मुमताज़ ने बम्बई को भी अलविदा कह दिया और अपने पति के साथ विदेश में जाकर बस गयी। इससे राजेश खन्ना को जबर्दस्त आघात लगा।

अन्तिम दिनों में ख़राब स्वास्थ्य

जून 2012 में यह सूचना आयी कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं।[28][29] 23 जून 2012 को उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिल रोगों के उपचार हेतु लीलावती अस्पताल ले जाया गया जहाँ सघन चिकित्सा कक्ष में उनका उपचार चला और वे वहाँ से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गये। उस समय "वे पूर्ण स्वस्थ हैं", ऐसी रिपोर्ट दी गयी थी।[30][31][32][33]14 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में पुन: भर्ती कराया गया। उनकी पत्नी डिम्पल ने मीडिया को बतलाया कि उन्हें निम्न रक्तचाप है और वे अत्यधिक कमजोरी महसूस कर रहे हैं।[34][35][36]

अन्तत: 18 जुलाई 2012 को यह खबर प्रसारित हुई कि सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे।

शव यात्रा व दाह संस्कार

राजेश खन्ना के पार्थिव शरीर की अन्तिम यात्रा

जैसे ही मीडिया पर देश के पहले सुपरस्टार के निधन का समाचार आया उनके बान्द्रा स्थित आशीर्वाद बँगले के बाहर प्रशंसकों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी। उसे नियन्त्रित करने के लिये पुलिस व सुरक्षा गार्डों की सहायता ली गयी। अगले दिन 19 जुलाई को विले पार्ले के पवन हंस शवदाह गृह में उनका अन्तिम संस्कार किया गया। भारी वर्षा व ट्रेफिक जाम होने के बावजूद लोग पैदल चलकर श्मशान घाट तक पहुँचे। पचहत्तर वर्षीय फ़िल्म अभिनेता निर्देशक मनोज कुमार, फ़िल्मस्टार अमिताभ बच्चन तथा उनके पुत्र अभिषेक बच्चन काका की अन्तिम यात्रा में शरीक होने वालों में प्रमुख थे।[37][38] उनकी चिता को मुखाग्नि अक्षय कुमार की सहायता से उनके नौ वर्षीय नाती आरव ने दी।[39][40]

संवेदना व श्रद्धांजलियाँ

राजेश खन्ना की मृत्यु पर वालीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा-"हम सोच रहे थे कि वे अस्पताल से स्वस्थ होकर लौटेंगे लेकिन उनकी मृत्यु की खबर से हमें जबर्दस्त धक्का लगा।" उनके दामाद अक्षय कुमार ने कहा कि उन्हें स्वर्ग में शान्तिपूर्ण व सम्मानजनक स्थान मिले इसके लिये आप सब प्रार्थना कीजिये। उनके घर जाकर शोक व्यक्त करने वालों में ऋषि कपूर, प्रेम चोपड़ासाजिद खान भी शामिल थे।[41] शाहरुख खान ने ट्वीटर पर लिखा-"जीना क्या होता है कोई काका से सीखे जिन्होंने फिल्म जगत के एक युग का प्रतिनिधित्व किया। अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मुमताज़, फिल्म अभिनेता शाहिद कपूर, फिल्म निर्माता सुभाष घई, नृत्यांगना व अभिनेत्री वैजयन्ती माला एवं माधुरी दीक्षित ने भी उन्हें शब्द सुमन अर्पित किये।"[42] पार्श्वगायक मन्ना डे ने कहा-"इसमें कोई शक नहीं कि वे सुपर स्टार थे मुझे इस बात का गौरव है कि मैंने उनकी फिल्मों में अपना स्वर दिया।"[43] मृणाल सेन ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि वे राजेश खन्ना को लेकर उनकी व्यस्तता के चलते कोई फ़िल्म नहीं बना सके। बुद्धदेव दास गुप्त ने कहा-"राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से भी दो कदम आगे थे क्योंकि अमिताभ ने उनसे बहुत कुछ सीखा। आने वाली युवा नस्लें उनसे प्रेरणा लेंगी।"[44] ऋतुपर्ण घोष ने आनन्द फ़िल्म में बोले गये "बाबू मोशाय" को शिद्दत से याद किया। फ़िल्म इतिहासकार एसएमएम औसजा ने कहा-"साठ व सत्तर के दशक में उन्होंने अपने समय के चोटी के निर्माता निर्देशकों के साथ काम किया और उन सबके ऊपर अपने अभिनय की छाप छोड़ी। यद्यपि उन्होंने किसी भी बँगला फिल्म में काम नहीं किया फिर भी धोती कुर्ते में उनकी छवि देखकर कोई भी बंगाली उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता।"[45]

राजनीतिक हलकों से भी उन्हें अपार श्रद्धांजलियाँ दी गयीं जिनमें प्रधान मन्त्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गान्धी, पश्चिम बंगाल की मुख्य मन्त्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार, गुजरात के मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी आदि के नाम प्रमुख हैं।[41] इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री रजा परवेज़ अशरफ़ सहित अन्य हस्तियों जैसे अली जफर व सैयद नूर ने भी उन्हें अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की।[42]

प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
2002क्या दिल ने कहासिद्धार्थ
2001प्यार ज़िन्दगी है
1999आ अब लौट चलेंबलराज खन्ना
1991रुपये दस करोड़
1990स्वर्गकुमार
1989मैं तेरा दुश्मनशंकर
1989पाप का अंतखन्ना
1988विजयअजीत भारद्वाज
1987नज़रानारजत वर्मा
1987आवाम
1987गोरा
1986अमृत
1986अनोखा रिश्ता
1986अंगारे
1986नसीहत
1986शत्रुइंस्पेक्टर अशोक शर्मा
1985आवारा बाप
1985निशान
1985आखिर क्यों?आलोक नाथ
1985ज़माना
1985अलग अलग
1985हम दोनों
1985बाबू
1985बेवफ़ाईअशोक नाथ
1985दुर्गा
1985मास्टर जी
1985नया बकरा
1985ऊँचे लोग
1984आशा ज्योतिदीपक चन्दर
1984आवाज़
1984धर्म और कानून
1984मकसद
1984आज का एम एल ए राम अवतार
1984नया कदमरामू
1983अवतारअवतार्
1983अगर तुम ना होतेअशोक मेहरा
1983सौतन
1982नादानआनन्द
1982राजपूत
1982सुरागअतिथि भूमिका
1982धर्म काँटा
1982जानवरराजू
1982अशान्ति
1981धनवान
1981दर्द
1981कुदरत
1980बंदिश
1980फ़िर वही रातडॉ॰ विजय
1980आँचल
1980थोड़ी सी बेवफाईअरुण कुमार चौधरी
1979प्रेम बंधनकिशन/मोहन खन्ना
1979अमर दीपराजा/सोनू
1979मुकाबलाकव्वाली गायक
1979जनता हवलदार
1978भोला भाला
1978नौकरीरंजीत गुप्ता 'रोनू'
1977अनुरोधअरुण चौधरी/संजय कुमार
1977कर्मअरविंद कुमार
1977छलिया बाबू
1977आईना
1977आशिक हूँ बहारों काअशोक शर्मा
1977पलकों की छाँव में
1977त्याग
1976महबूबाप्रकाश/सूरज
1976महा चोर
1975प्रेम कहानी
1974आप की कसम
1974रोटीमंगल सिंह
1974हमशक्ल
1974प्रेम नगर
1974अजनबीरोहित कुमार सक्सेना
1974अविष्कारअमरफ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1973नमक हराम
1973दाग
1973अनुरागगंगाराम
1972मेरे जीवन साथीप्रकाश
1972अपना देशआकाश चन्द्रा
1972बावर्ची
1972शहज़ादाराजेश
1972मालिकराजू
1972जोरू का गुलामराजेश
1972दिल दौलत दुनियाविजय
1972मेहबूब की मेहन्दीयूसुफ
1972अमर प्रेमआनन्द बाबू
1971हाथी मेरे साथीराज कुमार
1971अंदाज़राज
1972दुश्मनसुरजीत सिंह / दुश्मन
1971छोटी बहूमाधू
1970सच्चा झूठाभोला/रंजीत कुमारफ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1971आनन्दफ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1971आन मिलो सजनाअजीत
1971कटी पतंगकमल सिन्हा
1970सफरअविनाश
1969बंधन
1969दो रास्तेसत्येन गुप्ता
1969आराधनाअरुण वर्मा/ सूरज प्रसाद सक्सेना
1967बहारों के सपने

सम्मान एवं पुरस्कार

राजेश खन्ना को फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिये चौदह बार तथा बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट अवार्ड के लिये पच्चीस बार नामांकित किया गया। दोनों पुरस्कारों के लिये कुल उन्तालिस बार के नामांकन में उन्हें तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार एवं चार बार बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट अवार्ड मिला। राजेश खन्ना को दस बार ऑल India critics पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया और उन्हें सात बार अवार्ड मिला।

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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