वारसा संधि

नाटो के जवाब में सोवियत संघ के नेतृत्व में पूर्वी यूरोप के देशों के गठबंधन ने सन् 1955 में वारसा संधि की। [1][2][3]इसमें ये देश सम्मिलित हुए - सोवियत संघ, पोलैंड, पूर्वी जर्मनी, चैकोस्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और बुल्गारिया। इसका मुख्य काम था -नाटो में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करना।

मैत्री, सहयोग तथा परस्पर सहायता सन्धि
रूसी: Договор о дружбе, сотрудничестве и взаимной помощи

Members of the Warsaw Pact
सिद्धांत Союз мира и социализма  (Russian)
"Union of peace and socialism"
स्थापना 14 May 1955
विघटन 1 July 1991
प्रकार Military alliance
मुख्यालय मॉस्को, सोवियत संघ
सदस्यता

बुल्गारिया Bulgaria
चेकोस्लोवाकिया Czechoslovakia
साँचा:देश आँकड़े East Germany East Germany
हंगरी Hungary
पोलैंड Poland
रोमानिया Romania
सोवियत संघ Soviet Union

अल्बानिया Albania (withdrew in 1968)
Supreme Commander
Petr Lushev (last)
Chief of Combined Staff
Vladimir Lobov (last)

उद्देश्य

वारसा संधि का प्रमुख उद्देश्य यह था कि नाटो में शामिल देशों का यूरोप में मुकाबला करना। [4][5][6][7][8][9][10]

अन्त

२५ फरवरी, १९९१ को हंगरी में हुए एक सम्मेलन में यह सन्धि 'समाप्त' घोषित कर दी गयी जिसमें सदस्य देशों के रक्षा मन्त्री तथा विदेश मन्त्री शामिल थे।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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