शियोंगनु लोग
शियोंगनु (चीनी: 匈奴, अंग्रेज़ी: Xiongnu) एक प्राचीन ख़ानाबदोश क़बीलों की जाती थी जो चीन के हान राजवंश के काल में हान साम्राज्य से उत्तर में रहती थी। इतिहास में उनका वर्णन सीमित है, इसलिए यह ठीक से ज्ञात नहीं है कि उनकी नस्ल क्या थी। अलग-अलग इतिहासकार उन्हें तुर्की, मंगोली, ईरानी, तुन्गुसी और तुषारी जातियों का बताते हैं। उनके नामों और रीति-रिवाजों के बारे में जितना पता है वह प्राचीन चीनी सूत्रों से आता है। शियोंगनु भाषा हमेशा के लिए खोई जा चुकी है। यह संभव है कि 'शियोंगनु' शब्द 'हूण' के लिए एक सजातीय शब्द हो लेकिन इसका भी कोई पक्का प्रमाण नहीं है।[1]
प्राचीन चीनी इतिहासकारों के अनुसार तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में उन्होंने मोदू चानयु (冒顿单于, Modu Chanyu) नामक सरदार के नेतृत्व में २०९ ईसापूर्व में एक साम्राज्य संगठित कर लिया था। दूसरी शताब्दी ईसवी में उन्होंने अपने से पहले मध्य एशिया में शासन करने वाले युएझी (月支, Yuezhi) लोगों को हरा डाला और स्तेपी क्षेत्र की सबसे बड़ी शक्ति बन गए। वे दक्षिणी साइबेरिया, मंगोलिया, पश्चिमी मंचूरिया, भीतरी मंगोलिया, गांसू और शिनजियांग के इलाक़ों में सक्रीय थे। उन्होंने हान राजवंश और चीन के अन्य राजवंशों के साथ काफ़ी खींचातानी करी जिसमें कभी उनका पलड़ा भारी रहता था और कभी चीन का। बीच-बीच में वे चीन के साथ व्यापार और विवाह के सम्बन्ध भी रखते थे। इनमें कुछ हान चीनी राजकुमारियों की शादियाँ शियोंगनु सरदारों से हुईं।[2][3]