टर्की (पक्षी)
टर्की (Turkey) या पेरू (Peru) मेलेआग्रिस वंश का एक बड़े आकार का पक्षी है, जो मूल रूप से उत्तर व दक्षिण अमेरिका में पाया जाता था, जहाँ यह सब से बड़े पक्षियों में से एक है। इस वंश में दो जातियाँ पाई जाती हैं: नेत्रांकित टर्की (ocellated turkey) और उत्तर अमेरिका की जंगली टर्की (wild turkey)। दोनों जातियों के नर पक्षियों की चोंच के ऊपर एक उभाड़ टंगा हुआ होता है। मादाओं की तुलना में नर बड़े और अधिक रंगदार होते हैं।[1][2]
टर्की Turkey सामयिक शृंखला: 23–0 मिलियन वर्ष PreЄ Є O S D C P T J K Pg N | |
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जंगली टर्की (Wild turkey ) | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | पक्षी (Aves) |
गण: | गैलीफ़ॉर्मेस (Galliformes) |
कुल: | फेसियेनिडाए (Phasianidae) |
उपकुल: | मेलेआग्रिडिडाए (Meleagridinae) |
वंश: | मेलेआग्रिस (Meleagris) लीनियस, 1758 |
जातियाँ | |
नाम
जब यूरोपीय उपनिवेशक आरम्भ में उत्तर व दक्षिण अमेरिका पहुँचे, तो पहली बार मूल अमेरिकी आदिवासियों के अलावा किसी ने टर्की पक्षियों को देखा। समझा जाता है कि कुछ उपनिवेशकों ने गलती से इस पक्षी को एक प्रकार की गिनी मुर्गी समझ लिया जो उस काल में तुर्की देश से निर्यात होती थी। इस कारणवश यह उस पक्षी को टर्की बुलाने लगे।[3][4][5]
जब टर्कियाँ विश्व के अन्य भागों में उपलब्ध होने लगी तो कई यूरोपीय देशों में यह भूल थी की अमेरिकी महाद्वीप भारत थे, इसेलिए उन्होंने मान लिया गया कि टर्की भारत (हिन्द, इंडीया) से आई है। इस कारणवश टर्की को रूस में "इंदयुश्का" (indyushka, अर्थ "भारतीय"), पोलैंड और युक्रेन में "इंदयिक" (indyk) और तुर्की में "हिन्दी" बुलाया जाता है।[3] पुर्तगालियों की दृष्टि में टर्की पेरू देश से थी, इसलिए पुर्तगाली भाषा में इसे "पेरू" (peru) कहा जाता है। जब पुर्तगाली उपनिवेशक भारत आए (जहाँ उन्होंने गोवा पर कब्ज़ा करा), तो कुछ भारतीय भाषाओं में भी पुर्तगाली उपनिवेशकों का अनुसरण करते हुए इस पक्षी को "पेरू" कहा जाने लगा।[6]