नारियल तेल

नारियल तेल

नारियल तेल या गरी का तेल नारियल के पेड़ (कोकोस न्यूसीफेरा) में लगे पके हुए नारियल के गूदे या सार से निकाला जाता है। समूची उष्णकटिबंधीय दुनिया में यह पीढ़ी दर पीढ़ी लाखों लोगों के आहार में वसा का मुख्य स्रोत रहा है। भोजन, औषधि एवं उद्योग में इसकी विभिन्न उपयोगिताएं हैं। नारियल तेल बेहद उष्णता सुचालक है अतः यह खाना पकाने एवं तलने का एक उत्कृष्ट तेल है। इसका धूम्र बिंदु लगभग 360 °F (180 °C) है। इसकी स्थिरता की वजह से इसका ऑक्सीकरण धीमी गति से होता है, जिससे यह जल्दी बासी नहीं होता और उच्च संतृप्त वसा तत्व की वजह से दो वर्षों तक टिक सकता है।[1]

सेशेल्स में बैल-चालित चक्की के प्रयोग से नारियल तेल बनाने का पारंपरिक तरीका.
Fatty acid content of coconut oil
Type of fatty acidpct
Lauric saturated C12
  
47.5%
Myristic saturated C14
  
18.1%
Palmitic saturated C16
  
8.8%
Caprylic saturated C8
  
7.8%
Capric saturated C10
  
6.7%
Stearic saturated C18
  
2.6%
Caproic saturated C6
  
0.5%
Oleic monounsaturated C18
  
6.2%
Linoleic polyunsaturated C18
  
1.6%
Coconut oil contains approximately 92.1% saturated fatty acids, 6.2% monounsaturated fatty acids, 1.6% polyunsaturated fatty acids. The above numbers are averages based on samples taken. Numbers can vary slightly depending on age of the coconut, growing conditions, and variety.

red: Saturated; orange: Monounsaturated; blue: Polyunsaturated

उत्पादन

गीली प्रक्रिया में सर्वप्रथम नारियल का दूध बनाया जाता है एवं उसके बाद उस दूध से तेल निकाला जाता है। नारियल का गूदा छुड़ाकर उसमें थोड़ा पानी मिलाया जाता है और फिर उसे निचोड़ कर या दबा कर तेल निकाला जाता है। इससे निकलने वाले तेल/पानी के मिश्रण से, तेल की प्रतिशतता के आधार पर, नारियल क्रीम या नारियल का दूध उत्पादित होता है। उसके बाद नारियल के दूध को प्राकृतिक रूप से अलग होने दिया जाता है। पानी से हल्का होने के कारण तेल पानी की सतह पर तैरने लगता है। इसमें 12 से 24 घंटे लगते हैं। इसके बाद तेल निकाला जा सकता है। नारियल के दूध से नारियल तेल निकालने का यह पारंपरिक तरीका है एवं बहुत से लोग इसी पद्धति से घरों में तेल निकालते हैं। अन्यान्य विधियों में पानी से तेल को अलग करने के लिए गर्म करना, किण्वन, प्रशीतन अथवा अपकेंद्री बल आदि शामिल हैं।[2] कुछ मामूली ऊष्मीकरण आम तौर पर बाद में किये जाते हैं (अक्सर एक निम्न तापमान वाले निर्वात चेंबर में) ताकि अत्यधिक नमी को निकाला जा सके एवं एक अधिक परिष्कृत उत्पाद तैयार किया जा सके तथा उसका टिकाउपन बढ़ाया जा सके।

सूखी प्रक्रिया में तेल को सीधे-सीधे गिरी से निकाला जाता है। पहले नारियल की गिरी के टुकड़े किये जाते हैं एवं एक ओवेन में लगभग 10 से 12% नमी को सुखाया जाता है। तदुपरांत सूखे एवं कटे हुए नारियल को दबा कर उसमें से विशुद्ध तेल निकाला जाता है।[3]

द एशियन एंड पेसिफिक कोकोनट कम्युनिटी (APCC), जिसके सदस्य वाणिज्यिक रूप से बिकने वाले कुल नारियल के तकरीबन 85% का उत्पादन करते हैं,[4] ने विशुद्ध नारियल तेल के लिए अपना मानक प्रकाशित किया है।[5]फिलिपींस ने एक डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DOST) सरकारी मानक स्थापित किया है।[6]

यूएसडीए (USDA) ने 1 अक्टूबर से लेकर 30 सितम्बर तक के वर्ष के आधार पर नारियल तेल के ऐतिहासिक उत्पादन के आंकड़े प्रकाशित किए। [7]

वर्ष 2005-06  2006-07  2007-08  2008-09 
उत्पादन, दस लाख टन   3.46  3.22  3.53  3.33

रिफाइंड, ब्लीच्ड डियोडोराइज्ड (RBD)

कोजीकोड, केरल में नारियल तेल बनाने के लिए प्रयुक्त खोपरा बनाने के लिए नारियल को धूप में सुखाया जाता है।
भारत के केरल स्थित त्रिपुनिथुरा में एक तेल मिल में खोपरे से नारियल तेल निकाला जाता है।

आरबीडी (RBD) का तात्पर्य "परिष्कृत (refined), प्रक्षालित (bleached) एवं सुगंधित (deodorized) से है।" आरबीडी (RBD) तेल आम तौर पर खोपरे (सूखी हुई नारियल की गिरी) से बनता है। खोपरा धुंए से सुखाकर, धुप में सुखाकर अथवा भट्टे में सुखाकर बनाया जा सकता है। तदुपरांत सूखे हुए खोपरे को एक शक्तिशाली हाइड्रॉलिक प्रेस में अतिरिक्त गर्मी के साथ रखा जाता है और फिर उसे दबाकर तेल निकाला जाता है। व्यावहारिक रूप से इस प्रक्रिया में सारा तेल निकल जाता है, जो सूखे नारियल के वजन का 60% से अधिक होता है।[8]

यह "कच्चा" नारियल तेल खाने के लिए उपयुक्त नहीं होता क्योंकि इसमें संदूषक होते हैं तथा इसे और भी गर्मी देकर एवं निस्यंदित कर परिष्कृत करने की ज़रुरत होती है।"उच्च गुणवत्ता" वाला नारियल तेल निकालने के एक और तरीके में घुले हुए नारियल पर अल्फ़ा-एमिलेस, पोलीगालाकटुरोनासेस एवं प्रोटीज़ेज़ की एन्जाइमी क्रिया शामिल है।[9]

विशुद्ध नारियल तेल के विपरीत परिष्कृत नारियल तेल में नारियल का कोई स्वाद या सुगंध नहीं होता। आरबीडी (RBD) तेल घरों में खाना पकाने, वाणिज्यिक खाद्य प्रसंस्करण एवं कॉस्मेटिक, औद्योगिक तथा औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

हाइड्रोजनीकृत

इसके बाद आरबीडी (RBD) नारियल तेल को आंशिक या पूर्ण हाइड्रोजनीकृत तेल में प्रसंस्कृत किया जा सकता है ताकि उसके गलनांक को बढ़ाया जा सके। चूंकि विशुद्ध एवं आरबीडी (RBD) नारियल तेल 76 °F (24 °C) पर पिघलता है, नारियल तेल वाली खाद्य सामग्री गर्म मौसम में पिघल जाती हैं। इन गर्म मौसमों में एक उच्च गलनांक वांछनीय है ताकि तेल हाइड्रोजनीकृत हो सके। हाइड्रोजनीकृत नारियल तेल का गलनांक 97–104 °F (36–40 °C) होता है।

हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया में उसे और अधिक संतृप्त बनाने के लिए एक उत्प्रेरक प्रक्रिया में असंतृप्त वसा (एकलअसंतृप्त एवं मिश्रितअसंतृप्त वसा अम्ल) को हाइड्रोजन के साथ मिलाया जाता है। नारियल तेल में केवल 6% एकलसंतृप्त वसा तथा 2% मिश्रितअसंतृप्त वसा अम्ल होता है। इस प्रक्रिया में इनमें से कुछ को ट्रांस वसा अम्ल में तब्दील कर दिया जाता है।

खंडन

खंडित नारियल तेल सम्पूर्ण तेल का एक अंश है, जिसमें लम्बी श्रृंखला वाले वसा अम्ल हटा दिए जाते हैं ताकि केवल मध्यम श्रृंखला वाले संतृप्त वसा अम्ल रहे। 12 कार्बन श्रृंखला वाला वसा अम्ल लौरिक एसिड भी अक्सर हटा दिया जाता है क्योंकि औद्योगिक एवं चिकत्सकीय उद्देश्यों के लिए इसकी बहुत मांग है। खंडित नारियल तेल को कैप्रिलिक/केप्रिक ट्रिगलीसेरिड तेल या मीडियम चेन ट्रिगलीसेरिड (MCT) तेल भी कहा जा सकता है क्योंकि यह मुख्यतः मीडियम चेन कैप्रिलिक (8 कार्बन) एवं केप्रिक (10 कार्बन) एसिड होता है जो थोक तेल बनाता है।

एमसीटी (MCT) तेल औषधीय अनुप्रयोगों एवं विशेष भोजन बनाने में काफी प्रयुक्त होते हैं।

खाद्य उपयोग

नारियल तेल सामान्यतः खाना पकाने में प्रयोग किया जाता है, ख़ास तौर पर तलने में. उन समुदायों में जहां खाना पकाने में नारियल तेल का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, ज़्यादातर अपरिष्कृत तेल ही इस्तेमाल में लाया जाता है। आम तौर पर बहुत सी दक्षिण एशियाई सब्जियों में सुगंध लाने के लिए नारियल तेल का प्रयोग किया जाता है। खाना पकाने के अन्यान्य तेलों की तुलना में यह गर्म करने पर कम से कम हानिकारक उप-उत्पाद निर्मित करते हैं।[10]

बहुत से इंटरनेट सूत्रों के विपरीत नारियल तेल की कैलोरी अन्यान्य आहार वसा के बहुत समीप होती है, केवल मीडियम चेन ट्रिगलीसेरिड्स के उपस्थिति की वजह से कुछ कम रहता है जो कुल निहित वसा का आधे से भी कम होता है। आहारीय मीडियम-चेन ट्रिगलीसेरिड्स के लिए 8.3 किलो कैलोरी/ग्राम का मूल्य उद्धृत किया गया है।[1]

हाइड्रोजनीकृत अथवा आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत नारियल तेल का अक्सर गैर-डेयरी क्रीमर एवं पॉपकॉर्न सहित अन्यान्य नाश्ते की सामग्रियों में इस्तेमाल किया जाता है।[11]

औद्योगिक उपयोग

इंजन फीडस्टॉक के रूप में

डीजल इंजन ईंधन के रूप में बायोडीज़ल के लिए फीडस्टॉक के रूप में इस्तेमाल के लिए नारियल तेल का परीक्षण किया गया है। इस तरह विद्युत जेनरेटर एवं डीजल इंजिन का इस्तेमाल करने वाले परिवहनों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। चूंकि सीधे नारियल तेल का एक उच्च गेलिंग तापमान (22-25 °C), एक उच्च चिपचिपाहट, एवं 500 °C का एक न्यूनतम दहन चेंबर तापमान (ईंधन का पोलीमराइज़ेशन से बचने के लिए) होता है, अतः आम तौर पर बायोडीजल बनाने के लिए नारियल तेल को ट्रांसेसटरीफाइड किया जाता है। B100 (100% बायोडीजल) का उपयोग एकमात्र शीतोष्ण जलवायु में ही संभव है क्योंकि वहां जेल बिंदु तकरीबन 10 °C (50 डिग्री फारेनहाईट) होता है। तेल का ईंधन के रूप में प्रयोग के लिए शुद्ध वनस्पति तेलों के वीहेनस्टीफन मानक पर खरा उतरना आवश्यक है[12] अन्यथा कार्बोनाइज़ेशन एवं अवरोधन की वजह से यह असंशोधित इंजिन को हलकी से गंभीर क्षति पहुंचा सकता है।

फिलिपींस, वानुआतु, सैमोया एवं अन्यान्य अनेक उष्णकटिबंधीय द्वीपीय देश मोटर वाहनों, ट्रकों एवं बसों तथा बिजली से चलने वाले जेनरेटरों को चलाने के लिए एक वैकल्पिक ईंधन स्रोत के रूप में नारियल तेल का प्रयोग करते हैं।[13] वर्तमान में फिलीपींस में नारियल तेल का प्रयोग परिवहन ईंधन के रूप में हो रहा है।[14] ईंधन के रूप में इस तेल की क्षमता को लेकर प्रशांत द्वीपों में इसपर और भी शोध किए जा रहे हैं।[15][16]एक नाकाबंदी में इसे अपने वाहनों के ईंधन के रूप प्रयोग में लाये जाने की वजह से 1990 के दशक के बूगेनविले संघर्ष में द्वीप वालों ने इसकी आपूर्ति बंद कर दी। [17]

इंजन स्नेहक (लूब्रिकेंट) के रूप में

इंजन स्नेहक (लूब्रिकेंट) के रूप में प्रयोग किए जाने के लिए नारियल तेल का परीक्षण किया गया है; निर्माता का दावा है कि यह तेल ईंधन की खपत एवं धुंए के उत्सर्जन को कम करता है तथा इंजन को एक शीतल तापमान में चलने देता है।[18]

ट्रांसफॉर्मर तेल के रूप में

ट्रांसफॉर्मर तेल, ट्रांसफॉर्मरों में एक इंसुलेटिंग तथा शीतकारी माध्यम के रूप में काम करता है। इंसुलेटिंग तेल रेशेदार इन्सुलेशन में पोरों को तथा कॉयल कंडक्टरों के बीच के अंतर एवं साइडिंग और टैंक के बीच के अंतराल को भी भरता है और इस तरह इन्सुलेशन की डाईइलेक्ट्रिक क्षमता में बढ़ोत्तरी करता है। एक ट्रांसफॉर्मर इस प्रक्रिया में घुमाव के दौरान गर्मी उत्पन्न करता है और यह गर्मी प्रवाह्कत्व के माध्यम से तेल तक स्थानांतरित होती है। इसके बाद गर्म तेल संवहन द्वारा रेडियेटरों में बहता है। रेडियेटरों से आपूर्त तेल ठंडा होने की वजह से घुमाव को ठंडा करता है। इसमें विभिन्न महत्वपूर्ण गुण हैं, मसलन डाईइलेक्ट्रिक क्षमता, फ्लैश बिंदु, चिपचिपाहट, विशिष्ट गुरुत्व एवं वहन बिंदु तथा किसी तेल को ट्रांसफॉर्मरों में इस्तेमाल करने के योग्य प्रमाणित करने से पहले इन सब बातों का ध्यान रखना पड़ता है। सामान्यतः खनिज तेल ही प्रयोग में लाया जाता है लेकिन नारियल तेल में वे सभी गुण पाए गए जो इस उद्देश्य के लिए पर्यावरण अनुकूल एवं खनिज तेल के आर्थिक प्रतिस्थापन के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक हैं।[19]

शाकनाशी के रूप में

नारियल तेल से व्युत्पन्न अम्ल का शाकनाशी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है ताकि खरपतवारों से बचने का पर्यावरण अनुकूल तरीका निकाला जा सके। यह उन लोगों के लिए भी सुविधाजनक माना जाता है जो कृत्रिम शाकनाशकों के प्रति संवेदनशील होते हैं।[20]

व्यक्तिगत उपयोग

सौंदर्य प्रसाधन और त्वचा उपचार के रूप में

नारियल तेल त्वचा को नर्म बनाने एवं नमी प्रदायक (मॉश्चराईज़र) के रूप में उत्कृष्ट है। एक अध्ययन से पता चला है कि अत्यधिक विशुद्ध नारियल तेल का एक नमी प्रदायक (मॉश्चराईज़र) के रूप में प्रयोग प्रभावी एवं सुरक्षित होता है, जिसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। [21] एक अध्ययन में पाया गया कि नारियल तेल को बाल धोने से पहले चौदह घंटों तक कंडीशनर के रूप में बालों में लगाने से[22] कंघी करने पर प्रोटीन का नुकसान नहीं होता। [23]

यौन स्नेहक के रूप में

व्यापक रिपोर्ट है कि नारियल तेल का प्रयोग यौन स्नेहक के रूप में किया जाता है।[24] अन्यान्य तेल आधारित अन्तरंग लूब्रिकेंटों की तरह नारियल तेल का प्रयोग लेटेक्स कॉन्डोम के साथ नहीं करना चाहिए।

औषधि के रूप में

फिलीपींस चिल्ड्रेन्स मेडिकल सेंटर में निमोनिया से पीड़ित बच्चों पर एक एकल-अंध (सिंगल-ब्लाइंड) यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण से पाया गया कि नारियल तेल श्वास दर तथा क्रैकल के विभेदन को सामान्य से त्वरित कर देता है।[25]

मोटापे से पीड़ित 40 महिलाओं पर किये गए एक यादृच्छिक दुहरे-अंध (डबल- ब्लाइंड) नैदानिक परीक्षण में नारियल तेल का प्रयोग करने पर बिना डिसलिपिडेमिया के मोटापे में भारी कमी पाई गई।[26]

इन्हें भी देखें

  • कोफा
  • कोप्रा
  • ताड़ का तेल

सन्दर्भ

साँचा:Fatsandoils

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