ग्रिगोरी पेरेल्मान (रूसी: Григо́рий Я́ковлевич Перельма́н, जन्म: १३ जून १९६६) एक रूसीगणितज्ञ हैं जिन्होंने २००२-२००३ में प्वाइनकरे अनुमान को सिद्ध किया था। इसके लिए उन्हें फील्ड्स पदक और सहस्राब्दी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने इन पुरस्कारों को स्वीकार नहीं किया।[1]
जन्म
पेरेल्मान का जन्म १३ जून १९६६ को लेनिनग्राद, सोवियत संघ में हुआ था। उनकी माँ लुडमीला एक गणितज्ञ थी और पिता याकौव एक इंजीनियर था।[2]
बचपन और शिक्षा
जब पेरेल्मान दस साल का था उनकी गणितीय प्रतिभा स्पष्ट हो गया और उनकी माँ उन्हें स्कूल के बाद सर्गेई रुक्शिन का गणित प्रशिक्षण कार्यक्रम में नामांकित किया।[3] फिर पेरेल्मान का गणित शिक्षा लेनिनग्राद सेकेंडरी स्कूल में चालू हुआ। इस स्कूल में पेरेल्मान व्यायाम शिक्षा के अलावा हर विषय में श्रेष्ट थे। १९८२ में उन्हें अंतरराष्ट्रीय गणितीय ओलंपियाड में पूर्ण गणना के साथ स्वर्ण पदक मिला। फिर वह लेनिनग्राद स्टेट विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और वही विश्वविद्यालय से १९९० में पीएचडी पूरी की।
२००२-२००३ में पेरेल्मान अपना en:Thurston's Geometrization Conjecture का प्रमाण arxiv.org वेबसाइट में प्रकाशित किया।[5][6][7] प्वाइनकरे अनुमान Thurston's Geometrization Conjecture का एक परिणाम है। इसके लिए उन्हें २००६ में फील्ड्स पदक से सम्मानित किया गया लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया।[8] प्वाइनकरे अनुमान एक सहस्राब्दी पुरस्कार समस्या था और इसे साबित करने के लिए पेरेल्मान को २०१० में सहस्राब्दी पुरस्कार (दस लाख अमेरिकी डॉलर) भी सम्मानित किया गया था लेकिन उन्होंने इसे भी स्वीकार नहीं किया।[9] उसने कहा कि उसे पैसे और प्रसिद्धि में दिलचस्पी नहीं है।[10]
मीडिया
पत्रकार माशा गेस्सेन २००९ में पेरेल्मान के बारे में एक पुस्तक प्रकाशित किया जिसका नाम है परफेक्ट रिगर : अ जीनियस ऐन्ड द मैथेमैटिकल ब्रेकथ्रू ऑफ द सेन्चूरी।