इस्ट इन्डिया कम्पनी
इस्ट इन्डिया कम्पनी (इआइसी), अन्य नाम आदरणीय इस्ट इन्डिया कम्पनी (एचइआइसी), इस्ट इन्डिया ट्रेडिङ कम्पनी (इआइटिसी), या ब्रिटिश इस्ट इन्डिया कम्पनी, आ यदाकदा जोन कम्पनी,[२] कम्पनी बहादुर,[३] वा सोझे द कम्पनी कऽ नाम सँ जानल जाएवाला एक अङ्ग्रेज आ बादमे ब्रिटिश संयुक्त पुँजी कम्पनी छल।[४] एकर स्थापना पहिने मुगल भारत आ इस्ट इन्डिजक सङ्ग हिन्द महासागर क्षेत्रमे व्यापार करवाक लेल कएल गेल छल मुदा बादमे ई अपन कारोबार क्षेत्र किङ चीनक सङ्ग सेहो करऽलेल आरम्भ केनए छल। ई कम्पनीकेँ किङ चीनक सङ्ग युद्ध भेलाक बाद भारतीय उपमहाद्वीपक बहुत पैग क्षेत्र, दक्षिण पूर्व एसियाक उपनिवेशित हिस्सासभ आ ब्रिटिश हङकङ उपनिवेशिक क्षेत्र उपर कायम रहल एकाधिकार समाप्त भऽ गेल।
भूतपूर्वप्रकार | सार्वजनिक |
---|---|
उद्योग | अन्तर्राष्ट्रिय व्यापार, लागूऔषध तस्करी[१] |
Fate | भारत सरकार अधिनियम १८५८ |
स्थापना | ३१ दिसम्बर १६०० |
संस्थापकसभ | जोन वाट्स, जर्ज ह्वाइट |
Defunct | १ जुन १८७४ |
मुख्यालय | , |
उत्पादनसभ | सुती, मखमल, नील, नून, मसालासभ, चायपत्ती, आ अफीम |
डच भारत | १६०५–१८२५ |
---|---|
डेनिश भारत | १६२०–१८६९ |
फ्रान्सीसी भारत | १७५९–१९५४ |
पुर्तगाली भारत (१५०५–१९६१) | |
भारतक सभा | १४३४–१८३३ |
पुर्तगाली इस्ट इन्डिया कम्पनी | १६२८–१६३३ |
ब्रिटिश भारत (१६१२–१९४७) | |
इस्ट इन्डिया कम्पनी | १६१२–१७५७ |
भारतमे कम्पनी शासन | १७५७–१८५८ |
ब्रिटिश राज | १८५८–१९४७ |
बर्मामे ब्रिटिश शासन | १८२४–१९४८ |
ब्रिटिश भारतमे रियासतसभ | १७२१–१९४९ |
भारतक विभाजन | १९४७ |
मूल रूप सँ ई कम्पनीकेँ विधान अनुसार लन्डनक गभर्नर आ कम्पनीकेँ कारोबारीद्वारा इस्ट-इन्डिज क्षेत्रमे कारोबार करवाक लेल[५][६] एकर स्थापना कएल गेल छल मुदा जल्दिए ई कम्पनी दुनियाक आधा क्षेत्रमे अप्पन कारोबारकेँ फैलेलक जहिमे खासकरि सुती, मखमल, नील, नून, मसालासभ, चायपत्ती, आ अफीम छल। ई कम्पनी भारतमे ब्रिटिश साम्राज्यक शुरुआत सँ सेहो शासन केनए छल।[७][८]जुलाई १८३३ मे हाउस अफ कमन्सक देल गेल अप्पन भाषणमे लर्ड म्याकाउले बतौने छल कि शुरुआते सँ, इस्ट इन्डिया कम्पनी हरदमे व्यापार आ राजनीति दुनूमे शामिल रहल छल, जेना कि ओकर फ्रान्सिसी आ डच समकक्षसभमे भेल छल।[९]
एहो सभ देखी
- डच इस्ट इन्डिया कम्पनी
- फ्रान्सिसी इस्ट इन्डिया कम्पनी
- कम्पनी राज
सन्दर्भ सामग्रीसभ
बाहरी जडीसभ
- इस्ट इन्डिया कम्पनी, ओकर इतिहास आ परिणाम (कार्ल मार्क्स, १८५३)
- इस्ट इन्डिया कम्पनी पर सेहो लहराएल तिरङ्गा (स्वतन्त्र आवाज)