चीनी गणराज्य

पूर्वी एशिया में देश

चीनी गणराज्य या ताइवान (अंग्रेज़ी:Republic of China, चीनी:中華民國) पूर्वी एशिया का एक देश है। चीनी गणराज्य 1912 में स्थापित हुआ था और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'चीन' का प्रतिनिधित्व करता था, जब तक कि 1971 में संयुक्त राष्ट्र ने चीनी जनवादी गणराज्य को चीन का एकमात्र वैध प्रतिनिधि मान्यता नहीं दी।वर्तमान में, चीनी गणराज्य को आमतौर पर 'ताइवान' कहा जाता है, हालांकि इसकी अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की मान्यता सीमित है। इसका वर्तमान प्रशासनिक क्षेत्र ताइवान प्रांत, पेंघु द्वीपसमूह और इसके आस-पास के द्वीप, और चीन के फ़ुजियान प्रांत के तटीय क्षेत्र के पास स्थित किनमेन द्वीपसमूह, मात्सू द्वीपसमूह आदि द्वीप हैं (सामूहिक रूप से 'ताइपेंगजिनमा चीनी:台澎金馬 ' या 'ताइवान क्षेत्र' के रूप में जाना जाता है)। कुल भूमि क्षेत्रफल 36,197 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें ताइवान और इसके आस-पास के द्वीप 99% से अधिक हिस्सा बनाते हैं। हालांकि, चीनी गणराज्य का संविधान अभी भी चीनी मुख्य भूमि और हांगकांग और मकाओ क्षेत्रों पर संप्रभुता का दावा करता है, भले ही वर्तमान में वह इन पर शासन नहीं करता है।

चीनी गणराज्य (Republic of China)
中華民國
Zhōnghuá Mínguó
A red flag, with a small blue rectangle in the top left hand corner on which sits a white sun composed of a circle surrounded by 12 rays. A blue circular emblem on which sits a white sun composed of a circle surrounded by 12 rays.
ध्वज राष्ट्रीय प्रतीक
राष्ट्रगान: 
《中華民國國歌》
"चीनी गणराज्य का राष्ट्रीय गान"

ध्वजगान:
《中華民國國旗歌》
"चीनी गणराज्य का राष्ट्रीयध्वजगान"
पूर्वी एशिया का मानचित्र, with a world map insert, with the island of Taiwan shaded and the other islands circled
पूर्वी एशिया का मानचित्र, with a world map insert, with the island of Taiwan shaded and the other islands circled
चीन गणराज्य द्वारा नियंत्रित क्षेत्र: ताइवान, Penghu, Kinmen, Matsu Islands, Dongsha Islands और Taiping Island
राजधानीताइपे[1]
25°02′N 121°38′E / 25.033°N 121.633°E / 25.033; 121.633
सबसे बड़ा नगर न्यू ताइपे
25°01′N 121°28′E / 25.017°N 121.467°E / 25.017; 121.467
राजभाषा(एँ) मन्दारिन भाषा[2]
मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय भाषाएँ मन्दारिन भाषा

होक्का भाषा

फ़ोर्मोसी भाषाएँ
मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषाएँ ताइवानी होकिएन
होक्का भाषा
फ़ोर्मोसी भाषाएँ
फ़ूज़ौ बोली
आधिकारिक लिपि परम्परागत चीनी
मानवजातीय वर्ग >९५% हान चीनी[3]
  ७०% Hokkien
  १४% होक्का
  १४% Waishengren[a]
२.३% ताइवानी आदिवासी[b]
धर्म ३५.१% बौद्ध धर्म

३३.०% ताओ धर्म२६.७% अधार्मिक३.९% ईसाई धर्म

१.३% अन्य धर्म
निवासी तैवानी
सरकार एकात्मक अर्ध-अध्यक्षीय संसदीय संविधान गणराज्य
 -  राष्ट्रपति साई इंग वेन
 -  उपराष्ट्रपति विलियम लाइ चिंग-ते
 -  प्रधान(Premier) Chen Chien-jen
 -  Vice Premier Chen Chi-mai
 -  Speaker Su Chia-chyuan
 -  Deputy Speaker Tsai Chi-chang
विधान मण्डल विधान-संबंधी यूऐन
गठन
 -  गणराज्य की घोषणा १ जनवरी १९१२ 
 -  संविधान २५ दिसंबर १९४७ 
 -  सरकार ताइपे चली गई ७ दिसंबर १९४९ 
क्षेत्रफल
 -  कुल 36,193 km2 (136th)
 -  जल (%) १०.३४
जनसंख्या
 -  २०१० जनगणना २३,५१९,५१८[4] (५३वाँ)
 -  २०२० जनगणना 23,561,236[5] (५३वाँ)
 -  घनत्व 649/km2 (१७वाँ)
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) २०१६ प्राक्कलन
 -  कुल ₹९,४७,०९,९१,१९,५०,०००.०२[6]
 -  प्रति व्यक्ति ₹४०,२१,६१६.१३[6]
सकल घरेलू उत्पाद (सांकेतिक) २०१६ प्राक्कलन
 -  कुल ₹४,८५,८१,२६,८२,१६,२००.०१[6]
 -  प्रति व्यक्ति ₹२०,६३,११८.८९[6]
गिनी (2014)33.6[7]
मध्यम
मानव विकास सूचकांक (2021)वृद्धि 0.926[c]
बहुत उच्च · १९वाँ
मुद्रा नवीन ताइवानी डॉलर (NT$) (TWD)
समय मण्डल ताइवानी राष्ट्रीय मानक समय (यू॰टी॰सी॰+८)
दिवालोक बचत समय देखा नहीं जाता है
दिनांक प्रारूप
यातायात चालन दिशा दाएं तरफ
दूरभाष कूट +८८६
पितृनामी संत मरियम
इंटरनेट टीएलडी
  • .tw
  • .台灣
  • .台湾[9]

चीनी गणराज्य की स्थापना 1 जनवरी 1912 को क्विंग राजवंश के खिलाफ शिन्हाई क्रांति के दौरान हुई थी। 7 दिसंबर 1949 को, कुओमिन्तांग (KMT; चीनी गुओमिंदांग) द्वारा शासित चीनी गणराज्य की सरकार को नानजिंग से ताइपेई स्थानांतरित किया गया, जो कि चीनी गृह युद्ध में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से KMT की वास्तविक हार के बाद हुआ। CCP के नेतृत्व में चीन का लोक गणराज्य (PRC) 1 अक्टूबर 1949 को मुख्य भूमि चीन में आधिकारिक घोषणा के साथ स्थापित किया गया था, जबकि चीनी गणराज्य ताइवान क्षेत्र ("स्वतंत्र क्षेत्र") पर वास्तविक नियंत्रण बनाए रखता है, जिसकी राजनीतिक स्थिति आज भी विवादित है।

इतिहास

चीन के प्राचीन इतिहास में ताइवान का उल्लेख बहुत कम मिलता है। फिर भी प्राप्त प्रमाणों के अनुसार यह ज्ञात होता है कि तांग राजवंश (Tang Dynasty) (618-907) के समय में चीनी लोग मुख्य भूमि से निकलकर ताइवान में बसने लगे थे। कुबलई खाँ के शासनकाल (1263-94) में निकट के पेस्काडोर्स (pescadores) द्वीपों पर नागरिक प्रशासन की पद्धति आरम्भ हो गई थी। ताइवान उस समय तक अवश्य मंगोलों से अछूता रहा।

जिस समय चीन में सत्ता मिंग वंश (1358-1644 ई.) के हाथ में थी, कुछ जापानी जलदस्युओं तथा निर्वासित और शरणार्थी चीनियों ने ताइवान के तटीय प्रदेशों पर, वहाँ के आदिवासियों को हटाकर बलात् अधिकार कर लिया। चीनी दक्षिणी पश्चिमी और जापानी उत्तरी इलाकों में बस गए।

1517 में ताइवान में पुर्तगाली पहुँचे, और उसका नाम 'इला फारमोसा' (Ilha Formosa) रक्खा। 1622 में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर डचों (हालैंडवासियों) ने पेस्काडोर्स (Pescadores) पर अधिकार कर लिया। दो वर्ष पश्चात् चीनियों ने डच लोगों से सन्धि की, जिसके अनुसार डचों ने उन द्वीपों से हटकर अपना व्यापार केन्द्र ताइवान बनाया और ताइवान के दक्षिण पश्चिम भाग में किला ज़ीलांडिया (Fort Zeelandia) और किला प्राविडेंशिया (Fort Providentia) दो स्थान निर्मित किए। धीरे धीरे राजनीतिक दाँव पेंचों से उन्होंने सम्पूर्ण द्वीप पर अपना अधिकार कर लिया।

17वीं शताब्दी में चीन में मिंग वंश का पतन हुआ, और मांचू लोगों ने चिंग वंश (1644-1912 ई.) की स्थापना की। सत्ताच्युत मिंग वंशीय चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) ने 1661-62 में डचों को हटाकर ताइवान में अपना राज्य स्थापित किया। 1682 में मांचुओं ने चेंग चेंग कुंग (Cheng Cheng Kung) के उत्तराधिकारियों से ताइवान भी छीन लया। सन् 1883 से 1886 तक ताइवान फ्यूकियन (Fukien) प्रदेश के प्रशासन में था। 1886 में उसे एक प्रदेश के रूप में मान्यता मिल गई। प्रशासन की ओर भी चीनी सरकार अधिक ध्यान देने लगी।

1895 में चीन-जापान युद्ध के बाद ताइवान पर जापानियों का झण्डा गड़ गया, किन्तु द्वीपवासियों ने अपने को जापानियों द्वारा शासित नहीं माना और ताइवान गणराज्य के लिए संघर्ष करते रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने वहाँ अपने प्रसार के लिए उद्योगीकरण की योजनाएँ चलानी आरम्भ कीं। इनको युद्ध की विभीषिका ने बहुत कुछ समाप्त कर दिया।

काहिरा (1946) और पोट्सडम (1945) की घोषणाओं के अनुसार सितम्बर 1945 में ताइवान पर चीन का अधिकार फिर से मान लिया गया। लेकिन चीनी अधिकारियों के दुर्व्यवहारों से द्वीपवासियों में व्यापक क्षोभ उत्पन्न हुआ। विद्रोहों का दमन बड़ी नृशंसता से किया गया। जनलाभ के लिए कुछ प्रशासनिक सुधार अवश्य लागू हुए।

इधर चीन में साम्यवादी आन्दोलन सफल हो रहा था। अन्ततोगत्वा च्यांग काई शेक (तत्कालीन राष्ट्रपति) को अपनी नेशनलिस्ट सेनाओं के साथ भागकर ताइवान जाना पड़ा। इस प्रकार 8 दिसम्बर, 1949 को चीन की नेशनलिस्ट सरकार का स्थानान्तरण हुआ।

1951 की सैनफ्रांसिस्को सन्धि के अन्तर्गत जापान ने ताइवान से अपने सारे स्वत्वों की समाप्ति की घोषणा कर दी। दूसरे ही वर्ष ताइपी (Taipei) में चीन-जापान-सन्धि-वार्ता हुई। किन्तु किसी सन्धि में ताइवान पर चीन के नियंत्रण का स्पष्ट संकेत नहीं किया गया।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ


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