वियतनाम युद्ध
वियतनाम युद्ध (1 नवम्बर 1955 - 30 अप्रैल 1975) शीतयुद्ध काल में वियतनाम, लाओस तथा कंबोडिया की धरती पर लड़ी गयी एक भयंकर लड़ाई का नाम है। प्रथम हिन्दचीन युद्ध के बाद आरम्भ हुआ यह युद्ध उत्तरी वियतनाम (कम्युनिस्ट मित्रों द्वारा समर्थित) तथा दक्षिण वियतनाम की सरकार (यूएसए और अन्य साम्यवादविरोधी देशों द्वारा समर्थित) के बीच में लड़ा गया। इसे "द्वितीय हिन्दचीन युद्ध" भी कहते हैं। इसे शीतयुद्ध के दौरान साम्यवादी और—विचारधारा के मध्य एक प्रतीकात्मक युद्ध के रूप में देखा जाता है।
वियतनाम युद्ध Chiến tranh Việt Nam ([[error: vi not found in ISO 639-1, -2, -2B, -3, -5 list (help) भाषा|error: vi not found in ISO 639-1, -2, -2B, -3, -5 list (help)]]) Vietnam War ([[error: en not found in ISO 639-1, -2, -2B, -3, -5 list (help) भाषा|error: en not found in ISO 639-1, -2, -2B, -3, -5 list (help)]]) | |||||||||
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हिन्दचीन युद्ध और शीतयुद्ध का भाग | |||||||||
वियतनाम युद्ध के भयंकर दृष्य | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
Military support: |
Military support: | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
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शक्ति/क्षमता | |||||||||
≈860,000 (1967) | ≈1,420,000 (1968) | ||||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||||
Total military dead: ≈667,130–951,895 |
Total military dead: 333,620–392,364 | ||||||||
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a Upper figure initial estimate, later thought to be inflated by at least 30% (lower figure), possibly includes civilians misidentified as combatants, see Vietnam War body count controversy[43][49] |
लाओस ओर कम्बोडिया के साथ वियतनाम हिन्दचीन का एक देश फ्रांस के औपनिवेशिक शासन में था।स्वतंत्रता के संघर्ष में वियतनामी राष्ट्रवादियों को दक्षिणी वियतनाम में मिली असफलता इस युद्ध का प्रमुख कारण था।
परिचय
शीत युद्ध के दौर के सबसे भीषण सैन्य संघर्षों में से एक वियतनाम युद्ध (1 नवम्बर 1955 - 30 अप्रैल 1975) हैं। जहां एक तरफ चीनी जनवादी गणराज्य और अन्य साम्यवादी देशों से समर्थन प्राप्त उत्तरी वियतनाम की सेना थी तो दूसरी तरफ अमेरिका और मित्र देशों के साथ कंधे से कंधा मिला कर लड़ रही दक्षिणी वियतनाम की सेना।
वियतनाम युद्ध के चरम पर होने और अमेरिका के मित्र देशों की सेना की भीषण मारक क्षमता को भली भांति जानते हुए भी 'लाओस' ने अपनी धरती उत्तरी वियतनाम की सेना के लिये मुहैया करा दी। इस एक निर्णय ने लाओस के भविष्य को बारूद के ढेर के नीचे हमेशा हमेशा के लिये दबा दिया।
अभी तक सिर्फ वियतनाम से ही लड़ रहीं अमेरिका की फ़ौज को एक छोटे से देश लाओस के इस निर्णय पर गुस्सा आ गया। दरअसल लाओस में बैठी उत्तरी वियतनाम की सेना इस देश को अपने सप्लाई रूट और दक्षिण वियतनाम पर भीषण हमला करने के लिये इस्तेमाल करने लगी और यह महाशक्ति अमेरिका को मंज़ूर नहीं हुआ ।
उत्तरी वियतनाम की सेना और छोटे से देश लाओस को सबक सिखाने के लिए अमेरिकी सेना ने यहां सबसे भीषण हवाई हमले की योजना बनाई। अमेरिका की वायुसेना ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस छोटे से देश लाओस पर ढेर सारे मात्रा में बम गिराए ।
लाओस में वर्ष 1964 से लेकर 1973 तक पूरे नौ साल अमेरिकी वायुसेना ने हर आठ मिनट में बम गिराए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौ सालों में अमेरिका ने लगभग 260 मिलयन क्लस्टर बम वियतनाम पर दागे हैं जो कि इराक के ऊपर दागे गए कुल बमों से 210 मिलियन अधिक हैं। लाओस में अमेरिका ने इतने क्लस्टर बम दागे थे कि दुनिया भर में इन बमों से शिकार हुए कुल लोगों में से आधे लोग लाओस के ही हैं।
अमेरिका द्वारा लाओस पर की गई बमबारी को लेकर हुए खुलासों के अनुसार अमेरिका ने नौ सालों तक प्रतिदिन 2 मिलियन डॉलर सिर्फ और सिर्फ लाओस पर बमबारी करने में ही खर्च किए थे।
प्रमुख घटनाएँ
1954 में जेनेवा समझौते के तहत लाओस और कम्बोडिया को स्वतंत्रता मिली थी।
इन्हें भी देखें
- हिन्दचीन युद्ध
- ऑपरेशन जंक्शन सिटी
- चीन-वियतनाम युद्ध
बाहरी कड़ियाँ
- वियतनाम युद्ध के 50 साल (डी डब्ल्यू वर्ड)
- अभी भी चल रहा है वियतनाम युद्ध!
पादटिप्पणी
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