हैजा का टीका
हैजा के टीके वे टीके हैं जो हैजा की रोकथाम में प्रभावी हैं। [1] वे पहले छः माह में लगभग 85% और पहले वर्ष के दौरान लगभग 50-60% प्रभावी होते हैं।[1][2][3] दो वर्षों के बाद प्रभावशीलता 50% से कम हो जाती है। जब आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से का टीकाकरण हो जाता है तो टीकाकरण न पाए लोगों में सामूहिक प्रतिरक्षा का लाभ पैदा हो सकता है। उच्च जोखिम वालों में विश्व स्वास्थ्य संगठन इनको अन्य उपायों के साथ संयोजन में उपयोग किए जाने की सिफारिश करता है। आम तौर पर मुंह से लिए जाने वाले प्रारूप की दो या तीन खुराक की सिफारिश की जाती है। [1] दुनिया के कुछ क्षेत्रों में कुछ मामलों में इंजेक्शन वाले प्रारूप उपलब्ध है,लेकिन इसकी उपलब्धता कम है। [2][1]
दोनों प्रकार के उपलब्ध मौखिक टीके आम तौर पर सुरक्षित हैं। हल्का पेट दर्द या दस्त हो सकता है। वे गर्भावस्था तथा कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता की स्थितियों में सुरक्षित हैं। ये 60 से अधिक देशों उपयोग के लिए अधिकृत हैं। ये उन देशों में लागत प्रभावी होता है जहां पर यह रोग आम है।[1]
हैजा के विरुद्ध पहला टीका 19 वीं सदी के अंत में विकसित किया गया था। प्रयोगशाला में बनाएं गए वे पहले ऐसे टीके थे जिनको व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था।[4] मौखिक टीके, पहली बार 1990 के दशक में शुरु किए गए थे।[1] यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है जो कि बुनियादी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए जरूरी सबसे महत्वपूर्ण दवाओं की सूची है।[5] हैजा के विरुद्ध प्रतिरक्षा (टीकाकरण) की लागत, 0.1 और 4.0 अमरीकी डॉलर के बीच है। [6]