कारक

कारक के भेद

कारक को कारक कहते हैं। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं।संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया से सम्बन्ध जिस रूप से जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं। कारक यह इंगित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का काम क्या है। कारक कई रूपों में देखने को मिलता है

विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या तथा कारक के अनुसार शब्द का रूप-परिवर्तन भिन्न-भिन्न होता है। संस्कृत तथा अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं। जर्मन भाषा में चार कारक हैं।

कारक विभक्ति - संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के कारक अनुसार रूप-परिवर्तन को कहते हैं।

कारक के भेद

कारक के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं:

1.कर्ता— ने

2. कर्म— को

3. करण— से' के द्वारा

4. संप्रदान— को, के लिए

5. अपादान— से ( अलग होना )

6. संबंध का, के, की , रा, री, रे, ना, नी, ने

7. अधिकरण— में, पै, पर

8. संबोधन— हे! अरे! भो!

हिन्दी में इनके अर्थ स्मरण करने के लिए इस पद की रचना की गई हैं:

कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान।
संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान।।
का, के, की, संबंध हैं, अधिकरणादिक में मान।
रे ! हे ! हो ! संबोधन, मित्र धरहु यह ध्यान।।

विशेष - कर्ता से अधिकरण तक विभक्ति चिह्न (परसर्ग) शब्दों के अंत में लगाए जाते हैं, किन्तु संबोधन कारक के चिह्न-हे, रे, आदि प्रायः शब्द से पूर्व लगाए जाते हैं।

1.कर्ता कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है वह ‘कर्ता’ कारक कहलाता है। इसका हिन्दी पर्याय ‘ने’ है। इस ‘ने’ चिह्न का वर्तमानकाल और भविष्यकाल में प्रयोग नहीं होता है। इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है। जैसे- 1.राम ने रावण को मारा। 2.लड़की स्कूल जाती है।काम करने वाले को कर्त्ता कहते हैं। जैसे –अध्यापक ने विद्यार्थियों को पढ़ाया।इस वाक्य में ‘अध्यापक’ कर्ता है, क्योंकि काम करने वाला अध्यापक है|

पहले वाक्य में क्रिया का कर्ता राम है। इसमें ‘ने’ कर्ता जताता है। इस वाक्य में ‘मारा’ भूतकाल की क्रिया है। ‘ने’ का प्रयोग प्रायः भूतकाल में होता है। दूसरे वाक्य में वर्तमानकाल की क्रिया का कर्ता लड़की है। इसमें ‘ने’ का प्रयोग नहीं हुआ है।

विशेष-

(1) भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने परसर्ग नहीं लगता है। जैसे-वह हँसा।

(2) वर्तमानकाल व भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ने परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। जैसे-वह फल खाता है। वह फल खाएगा।

(3) कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को’ तथा ‘से’ का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे-

(अ) बालक को सो जाना चाहिए। (आ) सीता से पुस्तक पढ़ी गई।

(इ) रोगी से चला भी नहीं जाता। (ई) उससे शब्द लिखा नहीं गया।


2.कर्म कारक

कार्य जिस पर हो रहा होता है, वह कर्म कहलाता है। इसका हिन्दी पर्याय ‘को’ है। यह चिह्न भी बहुत-से स्थानों पर नहीं लगता। कार्य का फल अर्थात प्रभाव जिस पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं;जैसे –राम ने आम को खाया।इस वाक्य में ‘आम’ कर्म है,

जैसे- 1. मोहन ने साँप को मारा। 2. लड़की ने पत्र लिखा।

पहले वाक्य में ‘मारने’ की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। अतः साँप, कर्म कारक है। इसके साथ परसर्ग ‘को’ लगा है।

दूसरे वाक्य में ‘लिखने’ की क्रिया का फल पत्र पर पड़ा। अतः पत्र, कर्म है। इसमें कर्म कारक का हिंदी पर्याय ‘को’ नहीं लगा।

3.करण कारक

संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो अर्थात् जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो वह करण कारक कहलाता है। इसके हिन्दी पर्याय ‘से’ के ‘द्वारा’ है। जिसकी सहायता से कोई कार्य किया जाए, उसे करण कारक कहते हैं। जैसे –वह कलम से लिखता है।इस वाक्य में ‘कलम’ करण है, क्योंकि लिखने का काम कलम से किया गया है।

जैसे- 1.अर्जुन ने जयद्रथ को बाण से मारा। 2.बालक गेंद से खेल रहे है।

पहले वाक्य में कर्ता अर्जुन ने मारने का कार्य ‘बाण’ से किया। अतः ‘बाण से’ करण पद है। दूसरे वाक्य में कर्ता बालक खेलने का कार्य ‘गेंद से’ कर रहे हैं। अतः ‘गेंद से’ करण पद है।

4.संप्रदान कारक

संप्रदान का अर्थ है-देना। अर्थात कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा जिसे कुछ देता है उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। इसका हिन्दी पर्याय ‘के लिए’ है।जिसके लिए कोई कार्य किया जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। जैसे –मैं दिनेश के लिए चाय बना रहा हूँ।इस वाक्य में ‘दिनेश’ संप्रदान अवस्था में है, क्योंकि चाय बनाने का काम दिनेश के लिए किया जा रहा।

1.स्वास्थ्य के लिए सूर्य को नमस्कार करो।

इन दो वाक्यों में ‘स्वास्थ्य के लिए’ और ‘गुरुजी को’ संप्रदान अवस्था में हैं।

5.अपादान कारक

संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है। इसका हिन्दी पर्याय ‘से’ है। कर्त्ता अपनी क्रिया द्वारा जिससे अलग होता है, उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे –पेड़ से आम गिरा।इस वाक्य में ‘पेड़’ अपादान अवस्था में है, क्योंकि आम पेड़ से गिरा अर्थात अलग हुआ है।

जैसे- 1.बच्चा छत से गिर पड़ा। 2.संगीता घर से चल पड़ी।

इन दोनों वाक्यों में ‘छत से’ और घर ‘से’ गिरने में अलग होना प्रकट होता है। अतः घर से और छत से अपादान अवस्था में हैं।

6.संबंध कारक

शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो वह संबंध कारक कहलाता है। इसका हिन्दी पर्याय ‘का’, ‘के’, ‘की’, ‘रा’, ‘रे’, ‘री’ है। ये हिन्दी सर्वनामों में अभी भी भिन्न कारक रूप में दिखाई देता है, जसे- मैं>मेरा।उदाहरण- 1.यह राधेश्याम का बेटा है। 2.यह कमला की गाय है।इन दोनों वाक्यों में ‘राधेश्याम का बेटे’ से और ‘कमला का’ गाय से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ संबंध अवस्था में हैं।शब्द के जिस रूप से एक का दूसरे से संबंध पता चले, उसे संबंध कारक कहते हैं। जैसे –यह राहुल की किताब है।इस वाक्य में ‘राहुल की’ संबंध अवस्था में है, क्योंकि यह राहुल का किताब से संबंध बता रहा है।

7.अधिकरण कारक

जिस शब्द से क्रिया के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे –पानी में मछली रहती है।इस वाक्य में ‘पानी में’ अधिकरण है, क्योंकि यह मछली के आधार पानी का बोध करा रहा है।

शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है उसे अधिकरण कहते हैं। इसके हिन्दी पर्याय ‘में’, ‘पर’ हैं। जैसे- 1.भँवरा फूलों पर मँडरा रहा है। 2.कमरे में टी.वी. रखा है।इन दोनों वाक्यों में ‘फूलों पर’ और ‘कमरे में’ अधिकरण है।

8.संबोधन कारक

जिससे किसी को बुलाने अथवा पुकारने का भाव प्रकट हो उसे संबोधन कारक कहते है और संबोधन चिह्न (!) लगाया जाता है। जैसे- 1.अरे भैया ! क्यों रो रहे हो ? 2.हे गोपाल ! यहाँ आओ।इन वाक्यों में ‘अरे भैया’ और ‘हे गोपाल’ ! संबोधन कारक है।जिस शब्द से किसी को पुकारा या बुलाया जाए उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। जैसे –हे राम ! यह क्या हो गया।इस वाक्य में ‘हे राम!’ सम्बोधन कारक है, क्योंकि यह सम्बोधन है।यह हिन्दी संज्ञाओं में अभी भी जीवित है।

हिन्दी में कारक

संज्ञा

हिन्दी में संज्ञाओं के तीन कारक होते हैं- 1. अविकारी, 2. इतर, 3. संबोधन।इतर कारक परसर्गों से पहले आता है। लड़का शब्द की विभक्ति-

कारकएकवचनबहुवचन
अविकारीलड़कालड़के  
इतरलड़केलड़कों  
संबोधनलड़केलड़को

लड़की शब्द की विभक्ति-

कारकएकवचनबहुवचन
अविकारीलड़कीलड़कियाँ  
इतरलड़कीलड़कियों  
संबोधनलड़कीलड़कियो

आदमी शब्द की विभक्ति-

कारकएकवचनबहुवचन
अविकारीआदमीअदमी  
इतरआदमीआदमियों  
संबोधनआदमीआदमियो

औरत शब्द की विभक्ति-

कारकएकवचनबहुवचन
अविकारीऔरतऔरतें  
इतरऔरतऔरतों  
संबोधनऔरतऔरतो

सर्वनाम

सर्वनाम पाँच कारक रूप में दिखाई देते हैं: 1. कर्ता, 2. कर्म, 3. संबंध, 4. कर्ता (भूतकाल सकर्मक), 5. इतर

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तामैंहम  
कर्ता 2.मैंनेहमने  
कर्ममुझेहमें
संबंधमेरा, मेरे, मेरीहमारा, हमारे, हमारी
इतरमुझहम
कारकएकवचनबहुवचन
कर्तातूतुम  
कर्ता 2.तूनेतुमने  
कर्मतुझेतुम्हें
संबंधतेरा, तेरे, तेरीतुम्हारा, तूम्हारे, तुम्हारी
इतरतुझतुम
कारकएकवचनबहुवचन
कर्तायह, वहये, वे  
कर्ता 2.इसने, उसनेइन्होंने, उन्होंने
कर्मइसे, उसेइन्हें, उन्हें
संबंधइसका..., उसका...इनका..., उनका...
इतरइस, उसइन, उन

विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या

भाषाकारकों की संख्याटिप्पणी
हंगेरियन 29 
फिनिश15 
बास्क1000 
असमिया8 
चेचन8 
संस्कृत8 
क्रोएशियन7 
पोलिश7 
यूक्रेनी7 
लैटिन6 
स्लोवाकी6 
रूसी6 
बेलारूसी7 
ग्रीक5 
रोमानियन5 
आधुनिक ग्रीक4 
बुल्गारियन4 
जर्मन4 
अंग्रेजी3 
अरबी3 
नार्वेजी2 
प्राकृत6 
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