तातार लोग

तातार या ततार (तातार: ततरलार; रूसी: Татар; अंग्रेज़ी: Tatar) रूसी भाषा और तुर्की भाषाएँ बोलने वाली एक जाति है जो अधिकतर रूस में बसती है। दुनिया भर में इनकी आबादी ७० लाख अनुमानित की गई है, जिनमें से ५५ लाख रूस में रहते हैं। रूस के तातारस्तान प्रांत में २० लाख तातार रहते हैं। रूस के बाहर तातार समुदाय उज़बेकिस्तान, पोलैंड, काज़ाख़स्तान, युक्रेन, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं।[1]

दिनारा सफीना रूस के लिए टेनिस खेलती हैं और नस्ल से तातार हैं
रुसलन चाग़ायेव उज़बेकिस्तान के लिए मुक्केबाज़ी करते हैं और एक तातार हैं

५वीं शताब्दी ईसवी में तातार जाति मूल रूप से मध्य एशिया के गोबी रेगिस्तान के पूर्वोत्तरी भाग में स्थित तातार परिसंघ में रहा करती थी। ९वीं शताब्दी में ख़ितानी लोगों के हमले और क़ब्ज़े के बाद वे दक्षिण की ओर चले गए। १३वीं शताब्दी में वे चंगेज़ ख़ान के मंगोल साम्राज्य के अधीन आ गए। उसके पोते बातु ख़ान ने नेतृत्व में वे सुनहरे उर्दू साम्राज्य का हिस्सा बनकर पश्चिम की ओर चले गए जहाँ उन्होंने १४वीं और १५वीं सदियों में यूरेशिया के स्तेपी क्षेत्र पर राज किया। यूरोप में उनका मिश्रण स्थानीय जातियों से हुआ, जैसे की किपचक लोग, किमक लोग और यूराली भाषाएँ बोलने वाले लोग। वे क्रीमिया में कुछ प्राचीन यूनानी उपनिवेशों के लोगों से और कॉकस में वहाँ की जातियों से भी मिश्रित हो गए।[2] साइबेरिया के तातार यूराल-अल्ताई क्षेत्र के तुर्की लोग हैं जो कुछ हद तक युराली-भाषियों और मंगोल लोगों के साथ मिश्रित हैं। पश्चिम में तातार लोगों की तीन शाखाएँ हैं: वोल्गा तातार, लिपका तातार और क्रीमियाई तातार। तातारी लोगों में मध्य-काल में इस्लाम धर्म अपना लिया था।[3]

विवरण

विभिन्न समयों में 'तातार' शब्द का विभिन्न भाव रहा है। कुछ लोगों का विचार है कि प्राचीन काल में मध्य एशिया की तातार नामक नदी के संबंध से तातार कहे जाने लगे। इसके विपरीत कुछ का कथन है कि वास्तव में तातार तुर्की नस्ल के ऐसे राजकुमार का नाम था, जिसके एक भाई का नाम मंगोल था। इस कारण तातार राजकुमार के वंशवाले तातार कहे जाने लगे और मंगोल राजकुमार के वंशवाले मंगोल कहलाए। नई शोधों ने इन दोनों दृष्टिकोणों को गलत प्रमाणित कर दिया है किंतु कोई निश्चित तथ्य अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है। अब तक के कुल ज्ञात साक्ष्यों में सबसे प्राचीन आठवीं शती के तुर्की भाषा के उर्खूनी लेख हैं जिनमें "तीस तातारों" तथा "नौ तातारों" का उल्लेख है। उन्हीं लेखों से यह भी प्रमाणित हुआ है कि उस समय इस शब्द का संबंध तुर्को से नहीं प्रत्युत मंगोलों से या किसी मंगोली शाखा से जोड़ा जा रहा था। उस काल में तातार बायकल झील के दक्षिण-पश्चिम में बसे हुए थे और उत्तूकान प्रदेश, जिसका उल्लेख उर्खूनी लेखों में तुर्कों के निवासस्थान के रूप में बार बार हुआ है, 11वीं शती ईसवीं में तातारियों के देश में सम्मिलित था। उस समय तातारियों की मातृभाषा तुर्कों से भिन्न थी परंतु उनके बहुत से समुदाय तुर्कों के साथ साथ विभिन्न स्थानों को चले गए और एक सीमा तक सब तुर्क हो गए।

13वीं शती ईसवी में मंगोल विजयों के समय चीन, रूस, पश्चिमी युरोप तथा इस्लामी संसार में विजेताओं को तातार कहते थे। यही नाम चंगेज खाँ के पूर्वजों के लिये भी प्रयुक्त हुआ है। परंतु चंगेज खाँ की विजयों के अनंतर बहुत से लोग जिन्होंने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली थी, अपने को मंगोल कहने लगे और चंगेज खाँ के राज्य के बाद मंगोलिया तथा मध्य एशिया में तातार शब्द का प्रयोग पूर्णत: उठ गया तथा उसक स्थन पर 'मंगोल' शब्द चल पड़ा, जिसे स्वयं चंगेज खाँ ने शासकीय ढंग से चलाया था। इसपर भी यूरोपवाले इन्हें तातार ही कहते रहे और आलतून उर्दू (यानि सुनहरा झुंड; तात्पर्य बातू खाँ तथा बुर्क: खाँ के राज्यों से है) के राज्य तथा बाद में इस प्रदेश के दूसरे शासनकालों के लोगों को भी तातार ही कहा गया, यद्यपि इन लोगों ने 14वीं शती ईसवी में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था। इसके बादवाले समय में रूस तथा पश्चिमी यूरोप में उसमानी तुर्कों के सिवा सभी शुद्ध तुर्कों के लिये 'तातार' शब्द प्रयुक्त होने लगा और चीनी मंगोलों को भी तातार कहने लगे। अब विशिष्ट जातीय नाम के रूप में तातार शब्द का प्रयोग वॉल्गा नदी के आसपास में तुर्की बालनेवालों के लिये ही होता है, जो काजान से अस्त्राखान तक, क्रीमिया या करीम और साइबीरिया के एक भाग में बसे हैं।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

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