कोबाल्ट (प्रतीक : Co) एक रासायनिक तत्व है जिसका परमाणु क्रमांक २७ है। यह संक्रमण धातु है। अपने शुद्ध रूप में यह धातु कठोर, चमकीली और सलेटी-चाँदी रंग की होती है, लेकिन निकिल की भांति कोबाल्ट भी पृथ्वी के गर्भ में केवल अन्य रासायनिक तत्वों के साथ बने यौगिकों के रूप में ही मिलती है। कुछ मात्रा में पृथ्वी पर गिरे उल्काओं में यह शुद्ध रूप में प्राप्त होती है।[1]
कोबाल्ट-आधारित नीले वर्णक (पिगमेंट) हजारों वर्षों से मानवों द्वारा प्रयोग होते आ रहें हैं जिनका उपयोग प्रायः दर्पणों को नीला रंग देने के लिये किया जाता रहा है। इसे बर्तनों, प्यालों, स्याही व अन्य वस्तुओं को भी रंगने के लिये प्रयोग किया जाता है। आधुनिक काल में आधिकतर कोबाल्ट खनिजअफ़्रीका के कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य और ज़ाम्बिया देशों में खानों से निकाला जाता है। तीव्र लौहचुम्बकत्व का गुण रखने वाला यह तत्व अत्यन्त चुम्बकीय होता है और उद्योग में इसका प्रयोग एक चुम्बकीय और कठोर धातु के गुणों के कारण किया जाता है। मनुष्य-सहित कई अन्य जीवों को जीवन के लिये अल्प मात्रा में कोबाल्ट-युक्त आहार खाने की आवश्यकता है।[2][3]
'ब्रिस्टल ब्लू' नामक शीशे का काम कोबाल्ट से रंगित होता है
कोबाल्ट सिलिकेट - CoSiO3
इन भेड़ों में कोबाल्ट की कमी होने से इनकी यह दशा हुई है।
कोबाल्ट-६० रेडियोसक्रिय होता है। इससे निकले हुए गामा किरणों से खाद्य पदार्थों को विकिरित किया जाता है, जिससे उन पर स्थित रोगाणु अपनी संख्या नहीं बढ़ा पाते।