न्यू होराइज़न्स (अंग्रेज़ी: New Horizons, हिंदी अर्थ: "नए क्षितिज") अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा का एक अंतरिक्ष शोध यान है जो हमारे सौर मंडल के बाहरी बौने ग्रहयम (प्लूटो) के अध्ययन के लिये छोड़ा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2006 किया गया था जो नौ वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा।[1] यह प्लूटो और उसके पांचों ज्ञात उपग्रहों - शैरन, निक्स, हाएड्रा, स्टायक्स और ऍस/२०११ पी १ (S/2011 P 1) के आँकड़े भेजेगा। इसके बाद अगर कोई अन्य काइपर घेरे की वस्तु देखने योग्य मिलती है तो संभव है की इस यान के द्वारा उसके पास से भी निकलकर जानकारी और तस्वीरें हासिल की जा सकें।[2]
न्यू होराइजन्स
चित्रकार द्वारा चित्रित "न्यू होराइज़न्स" अंतरिक्ष यान।
न्यू होराइजन्स यान को रॉकेट के ऊपर लगाकर १९ जनवरी २००६ को छोड़ा गया था। ७ अप्रैल २००६ को इसने मंगल ग्रह की कक्षा (ऑरबिट) पार की, २८ फ़रवरी २००७ को बृहस्पति ग्रह की, ८ जून २००८ को शनि ग्रह की और १८ मार्च २०११ को अरुण ग्रह (यूरेनस) की। इसे छोड़ने की गति किसी भी मानव कृत वस्तु से अधिक रही थी - अपने आखरी रॉकेट के बंद होने तक इसकी रफ़्तार १६.२६ किलोमीटर प्रति सैकिंड पहुँच चुकी थी।[3]
इस मिशन का उद्देश्य प्लूटो तन्त्र, काइपर बेल्ट, और प्रारम्भिक सौर मंडल के रूपांतरणों कि समझ विकसित करना है।[4] यह स्पेसक्राफ्ट प्लूटो और इसके उपग्रहों के वायुमण्डल, सतह, अंतरतम और पर्यावरणीय दशाओं का अध्ययन करेगा और साथ यह काइपर घेरे के में पाई जाने वाली इकाइयों और पिण्डों का भी अद्ध्ययन करेगा।[5] एक अनुमान के मुताबिक अगर तुलना करके देखें तो मैरीनर यान ने मंगल के बारे में जितनी जानकारी जुटाई उसकी तुलना में यह यान प्लूटो के बारे में 5,000 गुना अधिक आँकड़े इकठ्ठा करेगा।[6]
कुछ जरूरी सवालात जिनके जवाब यह यह अभियान ढूँढने का प्रयास करेगा: प्लूटो की सतह दिखती कैसी है? क्या वहाँ बड़ी भौमिकीय संरचनायें मौजूद हैं? सौर पवनों के कण प्लूटो के वायुमंडल के साथ कैसे प्रतिक्रिया करते हैं?[7]
प्लूटो और इसके उपग्रह शैरन के सतही संगठन का नक्शा बनाना
इन दोनों के भूविज्ञान और भूआकारिकी का चिह्नीकरण करना
प्लूटो के वायुमण्डल की रचना और इसके पलायन वेग का मापन
शेरोन के वायुमंडल की खोज
इनके सतही तापमान का मापन
प्लूटो के इर्दगिर्द और उपग्रहों और छल्लों की खोज
ऐसी ही खोजें एक या एकाधिक काइपर पिण्डों के बारे में करना
उड़ान की प्रगति
प्लूटो उपगमन
जनवरी 2015: न्यू होराइज़न्स की नासा द्वारा अपडेट की गयी समयरेखा
जनवरी-फ़रवरी 2015: न्यू होराइज़न्स ने प्लूटो, शैरन, निक्स, और हाइड्रा की तस्वीरें लीं
4 जनवरी 2015 से दूर से प्लूटो के अध्ययन की शुरूआत हो गयी।[9] अभी इस दिन तक प्लूटो कि "राल्फ़" नामक दूरबीन से ली गयी तस्वीरें मात्र कुछ हई पिक्सेल विस्तार वाली थीं परन्तु विशेषज्ञों ने इसके बैकग्राउंड में दिख रहे अन्य पिण्डों की सहायता से मिशन के दिग्विन्यास (नेवीगेशन) से संबंधित कार्य शुरू कर दिए जिससे इसका पथ अच्छी तरह निर्धारित किया जा सके।
15 जनवरी 2015 को नासा ने एक संक्षिप्त अपडेट इस यान की समय-रेखा के बारे में जारी किया।[10]
जनवरी 2015: न्यू होराइज़न्स प्लूटो और शैरन के चित्र लिए।
अप्रैल 2015: प्लूटो पर संभावित ध्रुवीय टोपी दिखाई दी।[11]
12 फ़रवरी 2015 को नासा ने कुछ नयी तस्वीरें जारी कीं जो जनवरी 15 से जनवरी 31 के बीच ली गई थीं।[12][13]न्यू होराइज़न्स 203,000,000 कि॰मी॰ (126,000,000 मील) से अधिक की दूरी पर था जब इसने तस्वीरें लेनी शुरू कीं और इन तस्वीरों में प्लूटो और इसका सबसे बड़ा उपग्रह शैरन दिखलाई पड़ रहे थे। बाद में चित्रों की एक शृंखला जारी की गयी जिसमें निक्स और हाइड्रा भी दिख रहे थे जब यह यान 201,000,000 कि॰मी॰ (125,000,000 मील) की दूरी पर था।[14][15] मई 11 से ऐसे पिण्डों की खोज शुरू हुई जो अभी तक दिखे नहीं थे और जिनसे इस यान के टकराने का खतरा हो सकता हो क्योंकि ये अभी तक अज्ञात थे।[16]
21 अगस्त 2012 को निर्धारित उद्देश्यों में सुधार करते हुए अब इस यान से जुड़ी टीम ने प्लूटो उपगमन के पश्चात काईपर बेल्ट के पिण्डों के अध्ययन को भी इसके उद्देश्यों में जोड़ा और इस बेल्ट में पहुँचने की संभावना 2018 तक व्यक्त की गयी।[17] 15 अप्रैल को 2015, प्लूटो की जो तस्वीर ली गयी उसमें इसपर ध्रुवीय टोपी होने की संभावन व्यक्त की गयी।[11]
सॉफ्टवेयर अड़चन
4 जुलाई 2015 को न्यू होराइज़न्स के सॉफ्टवेयर में कुछ त्रुटि आ गयी थी जिसके कारण यह सुरक्षित चरण (सेफ़ मोड) में चला गया ताकि जब तक समस्या का समाधान न निकाला जा सके यह वैज्ञानिक अन्वीक्षण बंद रखे।[18][19] 5 जुलाई 2015 को, नासा ने घोषणा की कि समस्या, जो कमांड सीक्वेंस में समय-निर्धारण से संबंधित थी, को चिह्नित कर लिया गया है और यान 7 जुलाई से अपने वैज्ञानिक अन्वीक्षण पुनः शुरू कर देगा।[20]
समीपगमन के समय स्थिति
प्लूटो और इसके उपग्रह शैरन के सबसे नज़दीक से यह यान 14 जुलाई 2015 को 12:03:50 (UTC) बजे गुजरा। इस समय इस यान की प्लूटो से दूरी लगभग 12,500 किलोमीटर थी और यह लगभग 14 किलोमीटर प्रति सेकेण्ड के वेग से गुजार रहा था[21][22]: