रुआण्डा

अफ़्रीका का एक घनी आबादी वाला देश

रुआण्डा (Rwanda) मध्य-पूर्व अफ़्रीका में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल लगभग २६ हज़ार वर्ग किमी है, जो भारत के केरल राज्य से भी छोटा है। यह अफ़्रीका महाद्वीप की मुख्यभूमि पर स्थित सबसे छोटे देशों में से एक है। रुआण्डा पृथ्वी की भूमध्य रेखा (इक्वेटर) से ज़रा दक्षिण में स्थित है और महान अफ़्रीकी झीलों के क्षेत्र का भाग है। इसके पश्चिम में पहाड़ियाँ और पूर्व में घासभूमि है।

Repubulika y'u Rwanda
République du Rwanda

रुआण्डा गणराज्य
ध्वज कुल चिह्न
राष्ट्रगान: रुआण्डा न्ज़ीज़ा
अवस्थिति: रुआण्डा
राजधानी
और सबसे बड़ा नगर
किगाली
1°56.633′S 30°3.567′E / 1.943883°S 30.059450°E / -1.943883; 30.059450
राजभाषा(एँ) किन्यारुआण्डा, फ़्रान्सीसी
क्षेत्रफल
 -  कुल २६,३३८ km2
जनसंख्या
 -  २०१५ जनगणना १,१२,६२,५६४

लोग

रुआण्डा में दो प्रमुख जातियां हैं। त्वा लोग (Twa) जंगलों में बसने वाले पिग्मी हैं। टुटसी (Tutsi) और हूटू (Hutu) दोनों बांटू जातियाँ हैं। ऐतिहासिक रूप से टुटसी अल्पसंख्यक धनवान वर्ग है जबकि हूटू बहुसंख्यक किसानों और निर्धनों को कहा जाता है।[1]

भाषा

रुआण्डा में रहने वाले लगभग सभी लोग किन्यारुआण्डा भाषा बोलते हैं जो एक बांटू भाषा परिवार की सदस्य है और जिसे रुआण्डा की एक राजभाषा होने का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा फ़्रान्सीसी भाषा और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा होने की मान्यता प्राप्त है।

इतिहास

हज़ारों वर्ष पूव पाषाण युग और लौह युग में रुआण्डा क्षेत्र में शिकारी-फ़रमर लोग बसे और वर्तमान रुआण्डा के त्वा लोग उन्ही के वंशज हैं। बाद में यहाँ बांटू जातियों का विस्तार हुआ। यह किस काल और किन कारणों से टुटसी और हूटू में बंट गई इसे लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। मध्य १८वीं शताब्दी में रुआण्डा राजशाही स्थापित हुई जिसमें टुटसियों ने हूटूओं पर राज किया। सन् १८८४ में जर्मनी ने रुआण्डा को अपना उपनिवेश बना लिया लेकिन प्रथम विश्व युद्ध में बेल्जियम ने जर्मनों को यहाँ से खदेड़कर १९१४ में रुआण्डा पर अपना राज कर लिया। बांटो और राज करो की विचारधारा के अंतरगत उन्होने हूटू और टुटसिओं में आपसी नफ़रत बढ़ाने के लिये काम किया और टुटसी राजाओं को अपना मित्र बनाकर शासन किया। १९५९ में हूटू जनसमुदाय ने विद्रोह कर दिया और १९६२ में स्वतंत्रता प्राप्त करने में सफल हो गये। टुटसी इस हूटू-केन्द्रित राज्य से असंतुष्ट हुए और उन्होने आर-पी-एफ़ (RPF, Rwandan Patriotic Front, रुआण्डाई देशभक्त मोर्चा) नामक सेना में संगठित होकर १९९० में सरकार के विरुद्ध गृह युद्ध आरम्भ किया। यह तनाव विस्फोटक रूप से १९९४ के रवांडा जनसंहार का कारण बना जिसमें हूटूओं ने ५ से १० लाख के बीच टुटसी और निरपेक्ष हूटू मारे। यह नरसंहार तब समाप्त हुआ जब आर-पी-एफ़ सेना ने विजय प्राप्त कर ली।[2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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